सामाजिक संस्था और पुलिस के अथक प्रयास से लगा लापता का पता
गाज़ीपुर। सारे प्रयास कर थक हार कर बैठे परिवार को अचानक ये पता चले की 22 वर्ष पूर्व लापता उनका बेटा मिल गया है तो उनकी ख़ुशी का आकलन करना सम्भव नहीं होगा लेकिन उनके उस दुख का भी आकलन करना संभव नहीं होगा ज़ब उनकी गरीबी बेटे को वापस लाने में रोडा बन जाये।

परिवार की ख़ुशी और मज़बूरी की पराकाष्ठा की कहानी आज से 22 वर्ष पूर्व उस समय शुरू हुई ज़ब जिले के सैदपुर ब्लॉक के ग्राम इचवल निवासी कमालूद्दीन का बेटा इक़बाल अचानक घर से लापता हो गया, मानसिक रूप से कमजोर इक़बाल को परिजनों ने अपने सामर्थ्य अनुसार हर सम्भव स्थान पर खोजा लेकिन उसका कही पता नहीं चला।

थक हार कर परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराकर नियति का फैसला स्वीकार कर घर बैठना ही उचित समझा लेकिन 22 वर्ष बाद उनकी मायूसी उस समय ख़ुशी में बदल गईं ज़ब दक्षिण भारत की एक समाजसेवी संस्था द्वारा स्थानीय पुलिस को ये जानकारी मिली की इक़बाल बांग्लादेश के एक मस्जिद में रह कर सेवादार के रूप में कार्य कर रहा है।

परिजनों को इक़बाल के सकुशल होने की जानकारी ने जितनी ख़ुशी प्रदान की उतना ही दुख उन्हें इस जानकारी ने भी दी की इक़बाल को बांग्लादेश से वापस लाने में आने वाले खर्च को वो किसी भी तरह वहन नहीं कर सकते। ख़ुशी और उदासी के मिश्रित भाव में परिजन ये कहने को विवश हैं की इक़बाल सकुशल है यही हमारे लिए पर्याप्त है वो जहाँ भी रहे खुश रहे।

You must be logged in to post a comment.