न्यायालय के आदेश पर लगा ताला तोड फिर से किया कब्ज़ा, पुलिस दिख रही विवश
धानेपुर (गोण्डा)। निराश्रित को आश्रय देना पीड़ित वृद्धा को इतना महंगा पड़ जायेगा उसने कभी सोचा भी नहीं होगा, यही नहीं न्यायालय के तालाबंदी के आदेश के बाद भी कब्जेदारी रखें दबंगों की दबंगई के आगे प्रशासन भी नतमस्तक दिखाई दे रहा है।

मामला नगर पंचायत धानेपुर के ग्राम बाबूराम पुरवा निवासी श्रीमती गीतदेवी पत्नी स्वर्गीय वेदप्रकाश और संजीव, राजीव, चिरंजीव तथा धर्मजीव पुत्रगण स्व जगदीश प्रसाद का है, पीड़िता गीतदेवी के अनुसार लगभग तीस वर्ष पूर्व विपक्षी के पिता का परिवार उनके पड़ोस में किराये पर रहने लगा था, उन्होंने हमारे परिवार से घनिष्ठ सम्बन्ध बना लिए थे, विपक्षी का परिवार बड़ा होने के कारण उन्हें घर में काफ़ी समस्या होती थी तो उन्हें अपने घर का एक हिस्सा उपयोग करने के लिए दे दिया।
गीतदेवी का कहना है की वर्ष 2002 में पति की मृत्यु के बाद और स्वयं के स्वास्थ्य के ठीक न रहने के कारण मृतक आश्रित पर सेवा कर रहे अपने बड़े बेटे के साथ कानपुर रहने आ गए, वर्ष 2015 में जगदीश प्रसाद की मौत हो जाने के बाद उनके बेटों की नीयत ख़राब हो गईं और जगदीश प्रसाद की मृत्यु के कार्यक्रम में आने पर आग्रह कर कुछ दिन रहने के लिए हमसे घर की चाभी ले ली, अनुपस्थित में घर की साफ सफाई होती रहेगी ये सोचकर हमने भी उन्हें घर में रहने की अनुमति देते हुए चाभी सौंप दी।

मामले में मोड़ तब आया ज़ब वर्ष 2023 में पडोसी द्वारा जानकारी दी गईं की जगदीश प्रसाद के पुत्रगण घर में कुछ निर्माण करा रहे हैं, ज़ब उनसे इस बावत बात की गईं तो उन्होंने गलती स्वीकार करना तो दूर उल्टे जान से मारने की धमकी देते हुए कहा की घर की चाभी ज़ब हमें दे दिया तो घर भूल जाओ, अब ये हमारा है, यही नहीं ये भी धमकी दी गईं की यदि यहाँ आये तो एस सी एस टी एक्ट में फंसा दूंगा।
गीतदेवी के अनुसार प्रकरण की जानकारी पुलिस को दी गईं तो उन्होंने निर्माण तो रुकवा दिया लेकिन अवैध कब्ज़ेदारों पर कोई कार्यवाई नहीं की, मामले की शिकायत उपजिलाधिकारी से की गईं जिनके आदेश पर घर में ताला लगा दिया गया लेकिन उपजिलाधिकारी की कार्यवाई को धता बताते हुए 8 अगस्त की विपक्षीयों ने ताला तोड़कर पुनः निर्माण शुरू कर दिया जिसकी सूचना पर पुलिस ने विपक्षियों का धारा 151 में चालान कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली।

अब पीड़िता ने थक हार कर जिलाधिकारी की शरण लेते हुए उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए न्याय दिए जाने की मांग की है।

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