मर्चेंरी में रखें शव की आंखे निकालने का है मामला, परिजनों के हंगामे पर ज़िला प्रशासन ने दिया था जाँच का आदेश
गोण्डा। ज़िला अस्पताल या मेडिकल कालेज के भ्रस्ट डाक्टरों और कर्मचारियों पर अपने संरक्षण रूपी लबादे को सामने लाने में हमेशा की तरह इस बार भी प्रिंसिपल कोटास्थाने कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं हालांकि जिलाधिकारी के आदेश पर हुई इस बार की जाँच और कार्यवाई के आदेश को कोटास्थाने कबतक और कहाँ तक दबा पाते हैं ये समय बताएगा।

घटना विगत 13 नवम्बर की है ज़ब दुर्घटना में मृत युवक के शव को ज़िला अस्पताल मेडिकल कालेज की मर्चेंरी में रख दिया गया था, 14 नवम्बर की सुबह शव को अंतिम संस्कार के लिए ज़ब परिजन लेने पहुंचे और शव को बाहर निकाला गया तो शव की दोनों आँखों को गायब देख परिजन भड़क गए और जमकर हंगामा किया, उन्होंने चिकित्सकों पर शव की आंखे निकालने का गंभीर आरोप भी लगाया।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर टीम का गठन कर दो दिन में जाँच रिपोर्ट देने की बात प्रिंसिपल धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने बताई।
घटना के चार दिन बाद 18 नवम्बर को ज़ब जाँच पूरी होने, आरोपियों की पहचान होने, उनपर की गईं कार्यवाई की जानकारी के लिए ज़ब श्री कोटास्थाने से फोन द्वारा संपर्क किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की, व्यस्तता का अनुमान लगाकर दो दिन बाद 20 नवम्बर को एक बार फिर उनसे संपर्क का प्रयास किया गया तब भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की, दो दो बार कॉल रिसीव न करना इस बात को प्रमाणित करता है की श्री कोटास्थाने ने अभी भी अपनी नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया है वो आज भी भ्रस्टाचारी, लापरवाही भरे कृत्यओं के लिए विख्यात हो चुके अस्पताल और मेडिकल कालेज कर्मियों को अपना संरक्षण देने में कही से भी पीछे नहीं हैं।
यहाँ ये भी बताना आवश्यक है की इससे पूर्व भी वो चाहे डा अतुल सिंह पर अवैध वसूली का आरोप हो, डा सुवर्णा कुमार का रोगियों को बाहर से जाँच कराने के लिए दबाव डालने का आरोप हो या अन्य चिकित्सकों द्वारा अवैध वसूली का प्रकरण हो सभी में श्री कोटास्थाने ने आरोपियों को अपना संरक्षण ही प्रदान किया है, कुछ मामलों में बात जाँच तक गईं लेकिन वहीं की होकर रह गईं, न जाँच पूरी हुई न रिपोर्ट आई न आरोपियों पर कोई कार्यवाई हुई और न ही पीड़ितों को न्याय मिला, परिणाम ये रहा की अब तो ऐसे चिकित्सकों और कर्मचारियों का मनोबल और बढ़ गया और इन्होने जिन्दा तो जिन्दा अब मुर्दो के साथ भी भ्रस्टाचार करना शुरू कर दिया है।

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हालांकि इस मामले पर जिलाधिकारी ने स्वयं रूचि ली है जिसमे देखना ये है की जिलाधिकारी अपने प्रयास में सफलता पाती है या फिर दोषियों की बचाने में श्री कोटास्थाने सफलता पाते हैं।

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