अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा शिक्षा

न्यायालय को आईना दिखा रहा विद्यालय प्रबंधन, लंबित मुक़दमे के बाद भी मांग रहा आवंटन

शैक्षणिक कार्यों के अतिरिक्त व्यावसायिक कार्यों के लिए भूमि के उपयोग का है मामला 

गोण्डा। ज्ञात हो कि मामला शहीदे आजम सरदार भगत सिंह स्कूल कैंपस में हो रहे दुकानों के निर्माण का है जहां के विरुद्ध उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के समक्ष प्रस्तुत रिट 321 / 20 24 पीआईएल वंश बहादुर सिंह प्रति प्रबंध समिति शहीदे आजम सरदार भगत सिंह आदि तथा एक अन्य रिट वंश बहादुर सिंह प्रति प्रबंध समिति शहीदे आजम सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज गोंडा दोनों रिट संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के समक्ष अभी भी विचाराधीन है।

जिसमें यह उल्लेख किया गया की विद्यालय कैंपस में किसी भी व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती जिसको लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता वंश बहादुर सिंह ने पीआईएल दाखिल की थी और यह भी हवाला दिया की शैक्षणिक संस्थान के खेल मैदान और अचल संपत्तियों को व्यवसाय के रूप मे उपयोग नहीं किया जा सकता साथ ही कैंपस में पठन-पाठन जहां हो रहा हो वहां मेला आदि का आयोजन भी नहीं किया जा सकता यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने भी सुनाते हुए गिरजा शंकर की ओर से दाखिल याचिका पर दिया था।

खैर गोण्डा का मामला प्रकाश में आते ही वरिष्ठ अधिवक्ता ने मांग करते हुए कहा था गोण्डा के इस स्कूल कैम्पस मे हो रहे निर्माण को रोका जाये जब तक उक्त मामले का लखनऊ खंडपीठ से निस्तारण न हो जाए तब तक दुकानों का आवंटन भी किया जाना न्याय उचित नहीं होगा लेकिन खंडपीठ में दायर याचिका को नजरअंदाज करते हुए शहीदे आजम सरदार भगत सिंह टामसन इंटर कॉलेज गोंडा की प्रबंध समिति ने दुकान आवंटन हेतु एक विज्ञप्ति अखबारों में जारी कराते हुए लोगों से आवंटन हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किया।

विज्ञप्ति में स्पष्ट कहा गया की इच्छुक व्यक्ति विद्यालय से आवंटन हेतु आवेदन पत्र प्राप्त कर दिनांक 30 10 25 तक अवश्य जमा कर दें जिसने यह भी कहा गया कि आवेदन शुल्क 6हजार है जो दुकान यदि पात्र आवेदकों को आवंटित होती है अथवा नहीं होती है किसी भी अवस्था में आवंटन शुल्क वापस नहीं होगा।

इसी मामले को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता वंश बहादुर सिंह ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को एक प्रार्थना पत्र दिनांक 4.11.2025 को देते हुए अवगत कराया है जबकि उच्च न्यायालय में चल रहे रिट के बावजूद प्रबंध समिति सीना ताने आज भी धन उगाही पर आमादा है क्या इसे नहीं रहा उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ का भय ___यक्ष प्रश्न

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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