एक पख़वाड़े बाद भी जिम्मेदारों ने नहीं तोड़ी चुप्पी, न जाँच आई सामने न दिखी कोई कार्यवाई
गोण्डा। एक पख़वाड़े पूर्व घटी इस घृणित घटना में जिम्मेदारों ने अबतक अपनी ख़ामोशी नहीं तोड़ी है जिसमे मोर्चेरी में रखें शव की आँखों को निकालने का आरोप चिकित्सकों पर लगा था। ज्ञात हो की दुर्घटना में घायल परसपुर के युवक को मेडिकल कालेज में मृत घोषित करने के बाद शव को मोर्चेरी में रख दिया गया था जिसे दूसरी सुबह निकालने पर उसकी दोनों आंखे गायब पाई गईं थी।
मौक़े पर उपस्थित मृतक कौशलेन्द्र कुमार सिंह के परिजनों ने भारी हंगामा किया जिन्हे जाँच और कार्यवाई का झुनझुना थमाते हुए शांत कर दिया गया था लेकिन घटना के पंद्रह दिन से भी ज्यादा बीत जाने के बाद भी न तो किसी जाँच का अबतक पता चला और न ही किसी तरह की किसी कार्यवाई का।

कहने को तो घटना के दिन मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने ये बताया था की जिलाधिकारी के आदेश पर जाँच कमेटी का गठन कर दिया गया है और कमेटी दो दिनों में अपनी रिपोर्ट दे देगी लेकिन आज लगभग अठारह दिन होने के बाद भी मामला जस का तस पड़ा हुआ है यही नहीं जिम्मेदारों की अमानवीय मानसिकता का परिचय तो उस समय मिला ज़ब जाँच और कार्यवाई की जानकारी के लिए ज़ब प्रिंसिपल कोटास्थाने से संपर्क का प्रयास किया गया तो उन्होंने जानकारी देना तो दूर फोन उठाना तक उचित नहीं समझा।
वहीं डा कुलदीप पाण्डेय ने पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ते हुए कहा की मैं परीक्षा देने गया हुआ था मैं तीन दिन बाद वापस आया हूं हमें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।
यहाँ ये भी बताना आवश्यक है की पूरे मेडिकल कालेज के सर्वेसर्वा श्री कोटास्थाने और घटना से सम्बन्धित स्थलों के विभागाध्यक्ष डा कुलदीप पाण्डेय का बयान अपने आप में घटना को लेकर कितना मानवीय और संवेदनशील है इसे आसानी से समझा जा सकता है, मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों को जिन्दा तो जिन्दा मुर्दो से भी किसी हमदर्दी या मानवीय व्यवहार की उम्मीद रखना बिल्कुल बेमानी होगी।
