भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र क्रान्ति के सबसे बड़े नायकों में थे चन्द्रशेखर आजाद
लखनऊ ! चन्द्र शेखर आजाद की 113वीं जन्म जयन्ती पर भारतीय नागरिक परिषद द्वारा आयोजित संगोष्ठी में अमर शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये और उनके विलक्षण व्यक्तित्व व कृतित्व का स्मरण किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के आततायी दमन चक्र के दौर में चन्द्रशेखर आजाद ऐसे क्रान्तिकारियों में शिरोमणि थे जिन्होंने सदैव आगे आकर नेतृत्व कर सशस्त्र क्रान्ति को आगे बढ़ाया और इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने कर्म से या विचारों से ऐसा कोई कार्य कभी नहीं किया जिससे क्रान्तिकारी आन्दोलन की साख को बट्टा लगे। इस कसौटी पर बहुत कम लोग सच्चे उतर सके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र क्रान्ति के सबसे यशस्वी सेना नायकों में उनका नाम अग्रणी है। उनके अद्भुत नेतृत्व क्षमता का सबसे बड़ा प्रमाण यही हे कि उन्होंने भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, भगवानदास वैशम्पायन, भगवती चरण वोरा आदि उच्च शिक्षित क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया जबकि वे स्वयं अधिक पढ़े लिखे नहीं थे।
भरतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, संस्थापक ट्रस्टी रमाकान्त दुबे व महामंत्री रीना त्रिपाठी ने चन्द्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़े प्रसंग सुनाये। वक्ताओं ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद का व्यक्तित्व काकोरी षड्यंत्र के चार शहीदों राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खाँ और रोशन सिंह तथा शहीद ए आजम भगत सिंह से इतना बँधा हुआ है कि इन पाँचों की जीवनियों में चन्द्र शेखर आजाद की जीवनी स्वतः आ जाती है। चन्द्र शेखर आजाद एक महान संगठनकर्ता थे जो आज भी सबके लिए प्रेरणास्पद है।
संगोष्ठी में बड़ी संख्या में लेखकों,कर्मचारियों,अधिकारियों,शिक्षकों व बुद्धिजीविओं ने हिस्सा लिया।
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