आयकर विभाग ने 10 अक्टूबर 2019 को गोवा में होटल रिजॉर्ट की बिक्री-खरीद में शामिल दो समूहों के छह परिसरों में तलाशी अभियान चलाया।
इनमें से एक समूह गोवा में बड़ी संपत्ति का स्वामी है, जिस पर एक पांच सितारा रिजॉर्ट परियोजना बनाई जा रही है। यह समूह मुख्य रूप से होटल और अतिथि सत्कार, अचल संपत्ति और निर्माण में संलग्न है। खरीदार, दिल्ली स्थित कंपनियों का समूह है, जो कैटरिंग, रेस्तरां और होटल व्यवसाय में संलग्न है।
तलाशी अभियान समाप्त हो चुका है। इस अभियान के परिणामस्वरूप 4.39 करोड़ रुपये की अघोषित परिसंपत्ति जब्त की गई, जिसमें 2.55 करोड़ रुपये की अघोषित नकदी और 1.84 करोड़ रुपये के आभूषण / कीमती सामान शामिल है। समूह ने अघोषित आय प्रस्तुत करते हुए कुल 124.41 करोड़ रुपये की राशि का खुलासा किया और करों का तत्काल भुगतान करने भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
इसी तरह आय कर विभाग ने 9 अक्तूबर, 2019 को कर्नाटक में एक विख्यात व्यवसाय समूह पर तलाशी अभियानप चलाया जो विविध शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करता है। तलाशी के दौरान सीटों को रूपांतरित किए जाने की कार्यप्रणाली का पता चला जिसमें मूल रूप से एमसीसी द्वारा काउंसलिंग के जरिए योग्यता के आधार पर आवंटित सीटों को गलत तरीके से ड्रॉप ऑउट सिस्टम के जरिए संस्थागत कोटा सीटों में बदल दिया जाता था।
तलाशी में अपराध-संकेती साक्ष्य पाये गए हैं जो सीटों के रूपांतरण, दलालों को कमीशन के भुगतान और नकदी प्राप्ति के बदले सीटों की बिक्री के आरोपों को पुष्ट करते हैं। एमबीबीएस एवं पीजी सीटों के रूपांतरण के लिए विविध एजेंटों के उपयोग के साक्ष्य भी पाए गए हैं। ट्रास्टियों के लाभ के लिए अचल परिसंपत्तियों की खरीद के उद्देश्य से ऑन-मनी के भुगतान के रूप में फंडों का परिवर्तन भी पाया गया है जिसमे बिक्रेता के स्वामित्व में नकदी की प्राप्ति, दलालों के हाथों में कमीशन और संबंधित पार्टियों के स्वामित्व में लिखित और ऑडियो से जुड़े पुष्ट साक्ष्य भी पाए गए हैं। ऐसी सृजित नकदी के संचालन, होटलों के निर्माण के लिए परिवर्तन के साक्ष्य भी पाए गए हैं। ऐसी नकदी की आवाजाही से संबंधित हवाला लेनदेन का भी पता चला। मुख्य ट्रस्टी के घर में 89 लाख रुपये सहित अभी तक कुल 4.22 करोड़ रुपए की गैर हिसाबी नकदी का पता चला है।
कुछ छात्रों, जिनके नाम सीटों के रूपांतरण में उपयोग में लाए गए थे, ने बयान भी दिए हैं जिससे इस कार्यप्रणाली की पुष्टि होती है। सीटों की बिक्री में सहायता के लिए एजेंटों को नामांकित किया गया है तथा ऐसी सृजित नकदी के परिवर्तन के लिए गवाहों के रूप में दलालों और साथियों को नामित किया गया है।
कुछ कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों के खातों में नकदी जमा करने और उन्हें स्थायी जमाओं में रूपांतरित करने, जिनका उपयोग ट्रस्टियों द्वारा सेवा ऋणों के रूप में किया जाता है, का भी पता चला है। साक्ष्यों से यह बात भी सामने आयी है कि ट्रस्टियों ने नकदी में प्राप्त कुछ प्रतिव्यक्ति शुल्क को जमा करने के लिए अपने कर्मचारियों के नाम पर बैंक खाते खोले हैं। उपयुक्त तरीके से 8 कर्मचारियों के नाम पर 4.6 करोड़ रुपये तक के स्थायी जमा जब्त किये गए हैं। यह भी पता चला कि ऐसी बेनामी स्थायी जमाओं से प्राप्त ब्याज का उपयोग ट्रस्टियों द्वारा उनकी व्यक्तिगत क्षमता में लिए गए ऋण की अदायगी के लिए किया जा रहा है।
साक्ष्यों से रियल एस्टेट में किए गए गोपनीय निवेशों का भी पता चला। यह देखते हुए कि प्रति सीट औसत 50 लाख रुपए से 65 लाख रुपए से 185 सीटों के लिए नकदी चंदा लिया गया है, कुल मिलाकर अभी तक पता चली कुल गोपनीय आय लगभग 100 करोड़ रुपए की है तथा कुल 8.82 करोड़ रुपए की गोपनीय परिसंपत्तियों की कुल जब्ती हुई है। आगे की जांच की कार्यवाही अभी जारी है।