शिकायतकर्ता को सूचना दिय बगैर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी गोंडा ने ग्राम प्रधान पारसिया रानी एवं सचिव द्वारा की गयी व्यापक एवं प्रशासनिक अनियमितताओं की जांच कर दे दी क्लीन चिट , मामला पहुँचा उच्च न्यायालय ।
गोंडा । मामला ग्राम पंचायत पारसिया रानी विकास खंड कटरा बाजार जनपद गोंडा का है जंहा के निवासी भग्गन प्रसाद ने लगभग 9-10 माह पहले तत्कलीन जिलाधिकारी प्रभांशु कुमार श्रीवास्तव से पंचायती राज अधिनियम में निहित प्रावधानों के अन्तर्गत नोटराइज शपथपत्र के साथ शिकायती पत्र देकर स्थलीय एवं अभिलेखिय जांच कराये जाने की मांग की थी जिसका संज्ञान तत्कालीन जिलाधिकारी गोंडा ने लेते हूए कटरा के नोडल अधिकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया था !
किन्ही कारणोंवश बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच संपन्न न करके पत्रावली को वापस कर किसी अन्य को जांच अधिकारी नामित कर जांच कराने हेतु अनुरोध किया था जिसके उपरांत तत्कालीन जिलाधिकारी गोंडा ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी गोंडा को जांच सौंप कर एक माह में स्थलीय एवं अभिलेखिय जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया था लेकिन अथक प्रयास के बावजूद जब मामला मीडिया में छाने लगा तो मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने ग्राम प्रधान एवं सचिव से मिलीभगत कर मोटी धन उगाही कर मामले का बिना किसी जांच पड़ताल के क्लीन चिट देकर जांच का पटानाश करते हूए मामले का निस्तारित कर दिया ।
क्या कहता है शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता का आरोप है राज्य वित्त एवं चौदहवां वित्त के अन्तर्गत एक ही कार्य का नाम बदल बदल कर कई बार भुगतान करा कर बजट का गबन किया गया है , मनरेगा के अन्तर्गत बिना किसी कार्य के गरीबों के खातो में पैसा ट्रांसफर कर उसको जबरन निकलवा कर गबन किया गया है तथा प्रधानमन्त्री आवास योजना में नियम कानून को नजरअंदाज कर अपने चहेतों में बाट दिया गया है जिसमे 7-8 एकल परिवार को जिनकी आयु 55 वर्ष से आधिक है उनको दिया गया है जबकि गाईडलाइन के अनुसार एकल व्यक्ति औऱ जिनकी आयु 55 वर्ष से आधिक है अपात्र है , वहीं 4-5 लोगो को आवास से पुनः लाभान्वित किया गया है जिनके परिवार में व स्वयं पूर्व में इंदिरा आवास से लाभान्वित हो चुके है इतना ही नही 10-15 आवास ऐसे है जो पूर्णतया अपात्र है जिनके पास 4-5-6 कमरा पक्का मकान है उनको दे दिया गया है वहीं बेघर गरीबों को नजरंदाज किया गया है लेकिन जांच अधिकारी ने एक भी आवास का स्थलीय एवं अभिलेखीय जांच नही किया, शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसे जांच के बारे में कोई जानकारी भी नही दी गयी जिससे उसने पत्राचार कर संबन्धित अधिकारियों को अवगत कराया फ़िर भी किसी ने संज्ञान नही लिया इससे यह स्पष्ट है की जांच अधिकारी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने भ्रष्टाचरियो से मोटी धन उगाही कर जांच के नाम औपचारिकता पूर्ण करके फर्जी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करके मामले को समाप्त कर दिया है , जिससे शिकायतकर्ता क्षुब्ध होकर उच्च न्यायालय में रिट दायर कर न्याय की गुहार लगायी है ।
क्या कहते है मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता पंकज दीक्षित ।
इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता पंकज दीक्षित से सम्पर्क किया गया तो उन्होने बताया कि जांच अधिकारी से लगभग 7-8 महीनो से लगातार संपर्क में हूँ , अथक प्रयास किया लेकिन जांच नही हुई अचानक जब 10-15 दिन पूर्व उनके कार्यालय में जाकर एक बाबू से संपर्क किया तो पता चला जांच हो गयी औऱ कोई आरोप सही नही पाया गया , यह चौकाने वाला मामला सुनकर वह दंग रह गये तब उन्होने शिकायतकर्ता से संपर्क किया तो उसने बताया कि न तो उसे किसी जांच की जानकारी है न किसी कार्यवाही की ऐसे में जांच अधिकारी पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजमी प्रतीत हो रहा है औऱ उनकी भूमिका संदेह के घेरे में लग रही है ,वैसे अधिवक्ता पंकज दीक्षित ने खुलकर बताया जिस मामले की पैरवी 8-10 माह से की जा रही हो मामले औऱ जांच संपन्न हो जाये औऱ अधिवक्ता एवं शिकायतकर्ता दोनों में से किसी को भनक तक न लगे , निश्चित ही मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने प्रभाव एवं दबाव में मामले की औपचारिकता निभा कर उसको जांच कार्यवाही का पतन कर भ्रष्टाचारियों का हौसला बढ़ाया है, ऐसे में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ शासन एवं प्रशासन से शिकायत की जाएगी औऱ उच्च न्यायालय को भी इनके कारनामों से अवगत कराया जाएगा ।