नयी दिल्ली। बलात्कार करने के बाद मासूम की जिन्दगी भी खत्म करने के इरादे से उसे बुरी तरह घायल करने वाले दरिंदों को आखिर उनके अंजाम तक कानून ने पहुंचा ही दिया। दरिन्दगी और बलात्कार के आरोपियों को आज न्यायालय ने 20-20 साल की सजा सुनाते हुए उन पर 11 लाख का जुर्माना भी लगाया है, जुर्माना पीडित परिवार को सौंपना होगा।
घटना सात वर्ष पहले की है जब मासूम गुडिया के साथ हुए बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार का मामला मीडिया से लेकर जन सामान्य में चर्चा में रहा। घटना के अनुसार विगत 15 अपै्रल 2013 को देश की राजधानी के पूर्वी दिल्ली के क्षेत्र गांधीनगर में रहने वाली मासूम गुडिया का उसके ही पडासियों मनोज और प्रदीप ने पहले तो अपहरण किया फिर उसके साथ बलात्कार कर उसे मार डालने की नीयत से बोतल और मोमबत्ती का भी दरिन्दगी से प्रयोग किया। बुरी तरह घायल गुडिया को अपराधी कमरें में ही छोडकर फरार हो गये, परिजनों द्वारा दो दिनों तक चली खोजबीन के बाद गुडिया वहां पर बेहोशी के हालत में मिली जिसका एम्स में लम्बे चले उपचार के बाद बचाया जा सका था।
नयी दिल्ली की कडकडदूमा न्यायालय ने दोषियों मनोज और प्रदीप को सात साल तक चले इस मामले में पाक्सों एक्ट के तहत 20-20 वर्ष की सजा सुनाते हुए उन पर 11 लाख का जुर्माना भी लगाया है कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार मल्होत्रा ने सजा सुनाते हुए यह भी आदेश दिया है कि जुमाने की राशि पीडिता को सौपी जाये।
यहां यह भी बताना आवश्यक हे कि इस मामले की पैरवी पीडिता के परिजनों ने नहीं बल्कि बचपन बचाओं आन्देलन नाम की संस्था ने की हे जिसके वकील एचएस फुल्का ने अपनी बहस में दोषियों को उम्रकैद की सजा की माग की थी जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘‘गुडिया के साथ सामूहिक दुष्कर्म बेहद गम्भीर मामला है, मासूम ने जो हैवानियत सही उसने समाज की अन्तरआत्मा को झकझोर दिया। हिन्दुस्तान में तो छोटी बच्च्यिं को देवी की तरह पूजते हैं लेकिन दुष्कर्मियों ने तो कु्ररता की सारी हदें पार कर दी।
हालाकिं श्री फुल्का ने न्यायालय के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि इस मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा होनी चाहिए थी ओैर जुर्माने की राशि कम से कम 25 लाख रूप्ये होने चाहिए। इतना ही नहीं उन्होनेंं फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह मामले को उपरी अदालत में चुनौती देंगे।