उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत की हो रही तयारी
गोण्डा। नगर पालिका परिषद गोण्डा को स्वच्छता में प्रथम स्थान मिले न मिले यदि उसके कराये गये कार्यो की उचित जांच हो जाये तो उसे भ्रष्टाचार में जरूर प्रथम स्थान मिल जायेगा, नगर पालिका के इस भ्रष्ट आचरण में हैरानी की बात तो यह है कि जिनमे कंधे पर जनहित से जुडे कार्या को नियमों के तहत कराने की जिम्मेदारी है वे ही इस भ्रष्टाचार में संलिप्त नजर आ रहे है वह चाहे नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी हो या फिर जूनियर इन्जीनियर, कुछ इसी तरह का मामला नगर के सुभाषनगर में कराये जा रहे इन्टरलाकिंग कार्य में दिखाई दिया।
पिछले दिनों आरम्भ हुए नगर पालिका गोण्डा के अर्न्तगत आने वाले मोहल्ला सुभाषनगर में इन्टरलाकिंग कार्य पर निगाह डाला जाये तो हो रहे कार्य में मानकों की हेराफेरी नही मानकों को पूरी तरह ताक पर रख दिया गया है। जानकारों की माने तो इस कार्य में पुरानी इं्र्रटों को हटाकर उनके स्थान पर आईएसआई मार्का इंट का प्रयोग किया जाना चाहिए, पुरानी ईटों को हटाकर जमीन गिटटी को उचित मसाले में मिलाकर कुटाई की जानी चाहिए, कुटाई के बाद गिटटी की मोटाई चार इंच होनी चाहिए, गिटटी के बाद आधी इन्च बालू डालकर समतल करते हुए आईएसआई मार्का ईट बिछाई जानी चाहिए।
परन्तु हो रहे कार्य में न तो कोई गिटटी बिछाई जा रही है और न ही बालू, ईट भी लग रही है तो वह भी मानक विहीन। हैरानी की बात तो यह है कि सम्बधिंत कार्य के जेई का कहीं भी अता पता ही नहीं है अथक प्रयास के बाद जब जेई का पता चला तो उन्होनेंं बताया कि वे छुटटी पर चल रहे है इस पर जब उनसे सवाल किया गया कि आपने किसी को प्रभार सौंपा होगा उनसे सम्पर्क कराइये तो ढीठ जेई ने बडे ही आराम से कह दिया कि उन्होनेंं किसी को प्रभार नहीं सौपा है, बडा सवाल यह उठता है कि क्या किसी को प्रभार सोपे बिना उन्हें छुटटी कैसे दे दी गयी।
इतना ही नहीं जेई से सम्पर्क के क्रम में जब अधिशासी अधिकारी नगर पालिका गोण्डा से सम्पर्क किया गया तो उन्होनें बताया कि वे अपर जिलाधिकारी के पास बैठे है थोडी देर बाद होगी, कुछ देर बाद जब उनसे संदेश के माध्यम से मामले से अवगत कराते हुए जेई का सम्पर्क नम्बर और नाम मांगा गया तो उन्होनें गुमराह करते हुए किसी अन्य कर्मचारी का नम्बर जेई का नम्बर बताते हुए दे दिया। जब काफी प्रयास के बाद उन्होनेंं सही नम्बर दिया तो जेई साहब छुटटी पर निकले और वह भी बिना किसी को प्रभार सौंपे हुए।
यह सारा घटनाक्रम इस बात की गवाही दे रहा है कि नगर पालिका के जिम्मेदारों का यह भरसक प्रयास रहता है कि भ्रष्टाचार के मामलों को जितना टाला जा सके उसे उतना टाला जाये इसके लिए चाहे मीडिया को भी गुमराह ही क्यों न करना पडे। सबसे बडी बात तो यह है कि मामले की जानकारी होने के बाद भी अधिशासी अधिकारी विकास सेन ने समाचार लिखे जाने तक कराये जा रहे कार्य के मानकों की न तो कोई जानकारी ही साझा की और न ही किसी तरह का कोई जवाब ही दिया।
मामले पर उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत करने की भी तैयारी की जा रही है।