गोंडा ! महामारी घोषित हो चुके कोरोना,कोविड-19से लड़ने के लिये पूरे देश मे आपातकाल चल रहा है।ऐसे हालात मे 108, 102, एम्बुलेंस सेवा यदि बन्द हो जाये, तो इसका प्रभाव आम जनमानस पर बहुत बड़ा पडेगा।
लेकिन जिले मे इसके चालको ने सोमवार को चेतावनी दी थी की वे मंगल के रोज अपनी सेवायें बन्द रखेगें। मंगलवार के रोज जैसे ही इसकी सूचना प्रशाशन को हुई तो हडकंप मच गया। आनन फानन मे प्रशाशन ने जिला अस्पताल पहुँच कर 108,व 102 चालको के अध्यक्ष से मिल कर उन्हे समझा बुझा कर काम पर वापस बुला लिया। तब कहीं जाकर यह हाई वोल्टेज ड्रामा शान्त हुआ।
घटना कुछ इस प्रकार है कि सोमवार 30मार्च को 108, 102 एम्बुलेंस चालकों के अध्यक्ष ने 4 बिंदुओ पर मांग करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि उन्हे पूरा नही किया तो वे लोग 31मार्च को अपनी सेवा बन्द कर देंगे। जिसमे सैनिटाइजर ,मास्क की उपलब्धता, 50लाख का बीमा,सरकार द्वारा समय समय पर स्वास्थ करमचारीयो को उपलब्ध करायी जा रही समस्त सुविधा, लम्बित समस्त बकाया भुगतान, शामिल है।यदि इन्हे पूरा नही किया गया तो सभी एम्बुलेंस चालक अपनी सेवा बन्द कर देंगे।
जैसे ही इसकी भनक जिला स्वास्थ प्रशाशन को हुई तो सीएमओ डॉक्टर मधू गैरोला ने इसकी सूचना डीएम को भेज दी।आवश्यक सेवा के बन्द किये जाने की सूचना मिलने पर उन्होने तत्काल सीओ सिटी,
लक्ष्मीकांत गोतम व सिटी मजिस्ट्रेट वन्दना अवस्थी को वार्ता के लिये भेजा,जहाँ उन्हे समझा बुझा कर काम पर बुला लिया गया है।
इस पूरे घटनाक्रम मे महत्वपूर्ण बात जो निकल कर सामने आयी है वो यह है कि इन कर्मचारियों को मास्क,सेनेटाईजर,कर्मचारियों के अनुपात मे कम मिल रहा है।जबकि इनके,वेतन का समय से भुगतान कभी नही होता है।जिसके लिये इन कर्मचारियों ने इसके पूर्व मे भी कई बार हड़ताल किया है।
इस महत्वपूर्ण मामले पर बात करते हुए सीएमओ डॉक्टर मधू गैरोला का कहना है कि मास्क व सैनेटाइजर तो इन्हे इनकी सेवा प्रदाता कम्पनी ही देती है किन्तु उन्होने मानवता के चलते सामानो की आपूर्ति अपनी तरफ से कर दी है।जिसे प्राप्त भी करा दिया गया है।उन्होने चौंकाते हुए बताया कि उन्हे जो लिखित पत्र भेजा गया था उसमे इन सामानो की कोई मांग भी नही की गयी थी।जबकि मीडिया बंधुओ को जो सूचना दी गयी उसमे इस बात को बताया गया है,जो की गलत है।फिलहाल उन लोगो ने माफी मांग ली है और काम पर वापस आ गये है ।
लगातार बार बार इन चालको के द्वारा स्वास्थ विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने से एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है की विभाग मे सबकुछ ठीक नही है।हालात बेहतर होते ही एक बार जिला मजिस्ट्रेट को इन कर्मचारियों की परेशानियों का कोई स्थाई निदान खोजना होगा।