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उत्तर भारतीय भाजपा नेता का मुम्बई में निधन, सहयोग तो दूर फोन उठाना भी मुनासिब नही समझा भाजपा नेताओं ने

उत्तर भारतीय समाजिक कार्यकर्ता दिवंगत अरुण सिंह के परिवार को नहीं मिला उत्तर भारतीय नेता से सहयोग

मुम्बई ! उत्तर भारतीय दिवंगत अरुण सिंह (बस्ती , उत्तर प्रदेश ) भाजपा युवा मोर्चा अंधेरी (पुर्व) मुंबई के पदाधिकारी थे और मुंबई में परिवार सहित रहते थे जिनका मलेरिया से देहावसान हो गया।

दिवंगत अरुण सिंह दुर्भाग्य से इस महामारी के समय बीमार हुए लेकिन लाकडाउन के कारण उनको यथोचित उपचार संभव नहीं होने से उनका देहान्त हो गया और उनका परिवार मुंबई शहर में निसहाय हो गया । परिवार को पुलिस ने नियमानुसार चार लोगों के लिए गांव जाने के लिए यात्रा पास दे दिया परन्तु इनके परिवार /निर्भर रहने वालों की संख्या अधिक होने के कारण इनको और लोगों के लिए यात्रा पास कि आवश्यकता थी जिसके लिए परिवार के लोग प्रयत्न करने के साथ ही भाजपा के कई स्थानीय नेताओ के साथ ही उत्तर भारतीय भाजपा नेता अमरजीत मिश्रा से संपर्क किया परंतु किसी ने भी परिवार की मदद नहीं करी ।

उत्तर भारतीय नेता के रूप में पहचान बनाने वाले अमरजीत मिश्रा जी जो कि पूर्व भाजपा (महाराष्ट्र) सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त किए थे और मुंबई शहर में कजरी महोत्सव एवं छठ पूजा के माध्यम से उत्तर भारतीय का चेहरा बनकर राजनीतिक पहचान बनाये हैं वे परिवार का फोन भी उठाना उचित नहीं समझे जिससे परिवार बहुत ही आहत एवं निराश हुआ।

सोशल मीडिया के चर्चा के अनुसार वे उत्तर प्रदेश के सरकार (मा.केशव प्रसाद मौर्या जी के द्वारा नियुक्त उत्तर प्रदेश सरकार के मुंबई से प्रतिनिधि है ) में भी गहरी पैठ रखते हैं और उसी सोशल मीडिया से यह जानकारी हुई कि वे मुंबई से श्रमिक रेलगाड़ी शुरू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं जबकि यह कार्य महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों का था ।

आशा के तहत परिवार के लोग समाजिक कार्यकर्ता के माध्यम से आदरणीय अमरजीत मिश्रा जी तक अपना निवेदन फोन से पहुंचाया तो उनके द्वारा ज्ञात हुआ कि सरकारी कोटा तय करके सिर्फ चार लोगों का ही पास देता है उसमें ही लोग जाकर अंतिम क्रिया कर लें और यह निर्देश भी दिए कि दुसरे लोगो का जाना आवश्यक नहीं है और अनायास लोगों को परेशान ना करें जिनकी मृत्यु हो गई वह वापस नहीं आने वाले हैं।

हम हमारा सवाल है कि एक वरिष्ठ भाजपा नेता (उत्तर भारतीय ) होने के नाते क्या यह उनका फर्ज नहीं था कि वे दिवंगत अरुण सिंह के परिवार से फोन पर बात करके अपनी संवेदना व्यक्त करते और उनकी परिस्थिति समझते हुए जरुरत अनुसार मदद करते और जो रेलगाड़ी वे चलवाने का प्रचार करा रहे हैं उसमें परिवार के लोगों के लिए स्थान सुनिश्चित करा देते लेकिन सहयोग करना तो दूर की बात है पिडित परिवार से बात करना भी उचित नहीं समझा जबकि दिवंगत अरुण सिंह उत्तर भारतीय के साथ ही भाजपा का स्थानीय समर्पित कार्यकर्त्ता भी था और कुछ दिन पूर्व चुनाव में भाजपा के लिए तन मन धन से कार्य भी किया था । यही लोग चुनाव में उन जैसे कार्यकर्ता के बल पर ही खुद को वरिष्ठ नेताओं में गिनती कराते हैं और उसका लाभ उठाते हैं।

इस तरह का अनुभव एक भाजपा कार्यकर्ता के साथ हुआ है तो महसूस करें कि सामान्य उत्तर भारतीय के साथ ये लोग कैसे खड़े होगे और यदि ये तुम्हारे साथ नहीं खड़े हो सकते हैं तो आप इनके लिए अपना जीवन क्यों बेकार कर रहे हो !

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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