जम्मू कश्मीर। यूं तो आप सभी ने यह कहानी कही न कही पढी या सूनी होगी कि भगवान शिव दैत्यराज भष्मासुर को दिये गये अपने ही वरदान से इतने भयभीत हो गये थे कि उससे बचने के लिए उन्हें छुपकर रहना पडा था और भगवान विष्णु से मिले परामर्श के बाद नारी रूप धारण कर भस्मासुर को भस्म कर पाये थे।
जी हां हम आज आपको उस स्थान की जानकारी देने जा रहे है जहां भगवान शिव ने भष्मासुर का वध किया था।
मां वैष्णोे देवी की यात्रा करने वाले बहुत से श्रद्वालूओ ंने शिवखोडी की यात्रा जरूर की होगी यही शिवखोडी ही वह जगह है जहो भगवान शिव ने भस्मासूर को भस्म किया था। पौराणिक मान्यताओं की माने तो दैत्यराज भष्मासुर ने भगवान शिव की कठिन तपस्या कर उन्हें प्रसन्प्न करते हुए यह वरदान मांग लिया था कि वह जिस किसी के भी सर पर हाथ रख दे वह भष्म हो जाये, वरदान मिलने के बाद उसे परखने के लिए उसने भगवान शिव के ही सर पर हाथ रखने का निश्चय किया, भस्मासुर के मन्शा को भापते हुए भगवान शिव वहो से अन्र्तध्यान हो इसी गुुफा में आकर छुप गये और उन्होनें भगवान विष्णू से सहायता मांगी, भगवान विष्णू ने उन्हे सलाह देते हुए सुन्दर नारी का रूप रखने को कहा।
अति सुन्दर स्त्र.ी का रूप् रखकर भगवान शिव भस्मासूर के पास पहुचें जिसे देखकर भस्मासुर मोहित हो गया और स्त्री के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। नारी रूप् में भगवान शिव ने भस्मासुर से कहा कि वह यदि उनके समान नृत्य कर सकता है तो ही वह उससे विवाह करेंगी जिसे भस्मासुर ने मान लिया।
इसी न्न्य के बीच ने नारी रूपी भगवान शिव ने अपने हाथ अपने सिर पर रखा उसी का अनुसरण करते हुए भस्मासुर ने भी अपना हाथ अपने सिर पर रखा, सिर पर हाथ आते ही भस्मासुर जल कर राख हो गया और भगवान शिव को अपने ही वरदान से मुक्ति मिली।