अहमदाबाद (गुजरात)। गुजतात के उच्च न्यायालय की तुलना जूएं के अडडे से करने पर स्वतः संज्ञान ले हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ वकील की वरिष्ठता को ही समाप्त कर दिया। हालाकि वरिष्ठ वकील की टिप्पणी कोई नयी नही थी इस तरह की टिप्पणी पहले भी आम जनमानस में होती आ रही है।
हुआ यूं कि गुजरात के अहमदाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता यतिन ओझा ने न्यायालयों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए टिप्पणी की थी कि कोर्ट जूए का अडडा बन गये है जहंा न्याय के लिए गरीब दर दर की ठोकरे खाता रहता है परन्तु अमीर अपने मनमाफिक फेसला करा ले जाते है।
वरिष्ठ वकील यतिन ओझा की इस टिप्पणी पर हाईकोर्ट ने स्वतः सज्ञान लेते हुए विगत 18 जुलाई को वर्ष 1999 में दिये गये वरिष्ठ अधिवक्ता के तमगे को समाप्त करने का निर्णय लिया है मंगलवार को हाईकोर्ट ने एक अधिसूचना जारी कर इस विषय को सार्वजनिक किया है।
दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता यतिन ओझा ने लाकडाउन के दौरान आयोजित एक आनलाइन पत्रकार वार्ता में न्यायालय के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की थी कि कोर्ट अब जुआरियों को अडडा बन गयी है जहंा अमीर उघोगपति, विल्डर्स और तस्कर दो दिन में अपना आर्डर करा लेते है लेकिन गरीब लोग न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाते रहते है। उनका यह भी कहना था कि अदालत की रजिस्ट्ी शाखा कुछ वरिष्ठ वकीलों के केसों को ही लिस्ट करता है कनिष्ठ वकीलों के केस ही लिस्ट नही हो पाते।
अधिवक्ता यतिन ओझा के इस टिप्पणी पर न्याायाधीश सेानिया गोकाणी औैर न्यायाधीश एनवी अंजारिया ने स्वतः संज्ञान लेते हुए टिप्पणी को अदालत की गारिमा के खिलाफ बताते हुए वकील यतिन ओझा को अवमानना का नेाटिस भेज दिया था।
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