102, 108 सहित 112 ने भी दिया धोखा
रायबरेली। सरकार के लााख दावों और चेतवानी के बाद भी स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्यशैली में परिवर्तन नही ला पा रहा है, जिसका परिणाम गर्भवती महिलाओं को सडक किनारे नौनिहालों को जन्म देने को विवश होना पड रहा है।
कुछ इसी तरह के कुव्यवस्था का खामियाजा जनपद के विकास खण्ड खीरो के गावं शंकरखेडा के मजरे सगुनी निवासिनी पूनम गौतम को तब उठाना पडा जब एम्बुलेंस सहित पुलिस को भी फोन करने के बाद भी घंटो तक सुविधा न मिलने पर बाइक के सहारे अस्पताल जाने को मजबूर होना पडा।
मिल रही जानकारी के अनुसार शुक्रवार को अचानक प्रसव पीडा होने पर गर्भवती पूनम अपनी सास और पति रावेन्द्र गोैतम के साथ बाइक पर सवार होकर सीएचसी खीरों पहंची, सीएचसी सील होने के कारण वहा उसका उपचार नही हो पाया इस पर जिला अस्पताल जाने के लिए रावेन्द्र ने एम्बूलेंस सेवा के लिए पहले 102 और फिर 108 को फोन किया लेकिन घंटो प्रतीक्षा के बाद एम्बुलेंस नही पहुची।
इधर प्रसव पीडा से पूनम कराह रही थी, अपनी पत्नी की पीडा और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से आहत रावेन्द्र ने पुलिस से सहायता की अपेक्षा से 112 पर भी फोन किया परन्तु यहां भी परिणाम वही निकला काफी प्रतीक्षा के बाद भी पुलिस ने भी पीडित को कोई सहयोग नही किया।
बढती पीडा को देख रावेन्द्र ने अपनी मां और पत्नी को अपनी बाइक पर बिठाया और अस्पताल के लिए चल पडा, लगभग दो किलोमीटर चलने के बाद पत्नी की पीडा असहनीय हो गयी इसलिए उसे वही रूकना पडा और स्थानीय ग्रामीण महिलाओं के सहयेाग से सडक किनारे ही बच्चे को जन्म देना पडा। लोगो ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद वे सभी आटो रिक्शा के सहारे अपने गांव को चले गये है।