भारत/नेपाल। नेपाल ने भारत के साथ विवाद को और हवा देते हुए भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में जनगणना कराये जाने की घोषणा कर दी है जबकि भारत ने मानवता की मिसाल कायम करते हुए दूसरी तरफ एक नेपाली बच्ची की जान बचाने के लिए धारचूला के झूला पुल को खोल दिया।
ब्ताते चलें की नेपाल की ओली सरकार ने भारत के लिंिपयाथूरा, कालापानी ओर लिपूलेख क्षेत्र को अपना बताते हुए विवादों की शुरूआत पिछले दिनों कर दी थी, आज इसी विवाद को ओर हवा देते हुए इन ईलाकों में जनगणना की भी घोषणा कर दी। नेपाल की राष्ट्ीय योजना आयेाग और केन्द्रीय सांख्यीकी ब्यूरों ने आगामी वर्ष के 28 मई से होने वाली जनगणना में इन इलाकों को भी शामिल किये जाने की घोषणा की है।
नेपाल इन क्षेत्रों में डेार टू डोर सर्वेक्षण कराने के लिए चालीस हजार प्रगणक ओैर नौ हजार प्र्यवेक्षकों की तैनाती किये जाने की बात कर रहा है। इतना ही नही योजना आयेाग के सदस्य मिन बहादुर शाही ने तो धमकी देने के अंदाज में इतना तक कह दिया है कि यदि सम्भव नही हुआ तो आयेाग अन्य विकल्पों पर भी विचार करेगा।
बडी बात तो यह हेै कि विवादों केा हवा देने के ओली सरकार के इन्ही प्रयासो के बीच भारत सरकार ने एक नेपाली बच्ची के बीमारी के इलाज के लिए धारचूला का झूला पुल 20 मिनट के लिए खोल दिया जिससे बच्ची का इलाज हो सके और उसकी जान बचााई जा सके, इन बीस मिनटो में ही जहंा नेपाल के 88 लोगों ने भारत मे प्रवेश किया वही भारत से 50 लोगों ने नेपाल की यात्रा की। प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया कि दार्चुला महाकाली गांव पालिका निवासी जगदीश राम की एक माह की बच्ची की आतों में गाठ हैं जिसके बेहतर इजाल के दार्चुला जिला मुख्यालय से उसे भारत के लिए रेफर किया गया था वही दिल्ली मे कार्यरत दार्चुला निवासी आठ व्यक्तियों को नेपाल जाना था, पुल बन्द होने से उन्हें धारचूला में ही रूकना पडा था
इन सभी व्यत्यिों के अनुरोध पत्र आने के बाद भारत और नेपाल के स्थानीय प्रशासन की सहमति मिलने के बाद पुल को बीस मिनट के लिए खोला गया। आवागमन के दौरान एसएसबी के निरीक्षक कश्मीर सिंह की टीम नेे आने जाने वाले सभी लोगों की चेकिंग की जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया।
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