रजत सिनर्जी फाउंडेशन की महामारी के दौरान सामाजिक बदलाव की मुहिम
लखनऊ/वाराणसी ! कोरोना संकट और इस दौरान आमजन को हो रही दुश्वारियों के बीच बनारस का उद्यमी समूह रजत सिनर्जी फाउंडेशन परिवर्तन का वाहक (चेंज मेकर) बन कर भरा है। महामारी के दौरान देश के जाने माने सिल्क निर्यातक व रियल्टी कंपनी के प्रवर्तक रजत पाठक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन शक्ति के तहत काशी के सिपाही अभियान को चलाकर और मामूली जुर्माना न भर पाने की वजह से जेलों में पड़े बंदियों को रिहा करा कर चेंज मेकर की भूमिका निभाई है।
इस साल की शुरुआत कोरोना संक्रमण की दस्तक के साथ शुरू हुई और मार्च के अंतिम सप्ताह में पूरा देश थम गया। ऐसे मुश्किल हालात में भी फाउंडेशन अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करने में निरन्तर जुटा रहा और लाक डाउन के दौरान भय का ऐसा माहौल बन गया कि लोगों का मनोबल गिरने लगा है, जिसका असर लोगों की प्रतिरोधक क्षमता एवं आजीविका पर भी पड़ा। ऐसे में देश के 100 प्रभुत्व जनों ने 25 भारतीय भाषाओं में करोना से बचाव के उपाय समझाते हुये अपने वीडियो संदेश रजत सिनर्जी फाउंडेशन को भेंजा। जिसे फाउंडेशन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म द्वारा क्राउड सोर्सिंग का सफल प्रयोग करते हुए निरंतर प्रसारित कर दो मीलियन से अधिक लोगों जागरूक किया, जिसे वैश्विक स्तर पर सराहा गया।
सूच्य हो कि रजत सिनर्जी फाउंडेशन सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से सीधे तौर पर दो मीलियन लोगों से जुड़ा है। महामारी के ही दौरान सिनर्जी फाउंडेशन की ओर से सौ से अधिक परिवारों को संक्रमण से बचाव के लिए उनके घरों का नियमित साप्ताहिक सेनेटाइजेश कराया गया।
मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ के आह्वान व उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति अभियान प्रभावित होकर फाउंडेशन ने अपनी मुहिम ‘‘काशी के सिपाही’’ को आगे बढ़ाते हुए महिला सेवा केन्द्रित ‘‘काशी के सिपाही’’ मुहिम जो वाराणसी जनपद में अब तक की सबसे बड़ी एवं महत्वाकांक्षी मुहिम है। जिसके तहत मेंसुरेशन हाईजीन के लिए कार्य करते हुए इस मुहिम का लाभ निर्धारित लक्ष्य 30 हजार महिलाओं से अधिक लगभग 34 हजार तक पहुंचाया जा चुका है। साथ ही सराय डांगरी क्षेत्र की 200 से अधिक आदिवासी एवं मलिन महिलाओं में कम्बल वितरित किया गया।
रजत सिनर्जी फाउंडेशन ने चेंज मेकर बनकर अर्थ दण्ड के बदले सजा काट रहे कैदियों को रिहा कराकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की शुरूवात की। जिला कारागार में महज हजार रूपये के अर्थ दण्ड के बदले सजा काट रहे छः कैदियों कैदियों के इस आश्वासन के साथ कि वो ईमानदारी और मेहनत के साथ अपनी नई पहचान बनाएगें और शुरू हुई एक मुहिम और कारवां बनता गया। देश के कई अन्य शहरों से स्वयंसेवी संस्थाएं, लीगल फर्म व एडवोकेट्स ने सहयोग के लिये कदम बढ़ाया और इस मुहिम का हिस्सा बनकर मुहिम को बल प्रदान किया।
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