लखनउ। कोरोना के चलते पटरी से उतरी शिक्षा व्यवस्था पर सरकार ने आखिर निर्णय ले ही लिया है। मिल रही जानकारी के अनुसार स्नातक के प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर के प्रथम वर्ष के छात्रो को प्रमोट किये जाने की संभावना है तथा अतिंम वर्ष के छात्रों की परीक्षा करायी जायेगी।
प्रमोट किये जाने तथा परीक्षा कराये जाने की यह सिफारिश तीन कुलपतियों की कमेटी ने प्रदेश सरकार को सौपी अपनी रिपोर्ट में की है। इस कमेटी में लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय, कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय पाठक तथा बरेली के महात्मा ज्योतिबा फूले रूहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कृष्णपाल सिंह शामिल है।
इस कमेटी द्वारा की गयी सिफारिश में यह भी कहा गया है कि परीक्षाओं को प्रारूप् तय करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयोे को दी जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूकि जो विद्यार्थी अभी द्वितीय वर्ष में हैं उन्हें प्रथम वर्ष में प्रमोट कर दिया गया था इसलिए अगले वर्ष उनकी अतिंम वर्ष के साथ ही द्वितीय वर्ष की भी परीक्षा ली जानी चाहिए, द्वितीय वर्ष की परीक्षा के आधार पर प्रथम वर्ष के अंकों का निर्धारण हो जिससे ऐसा न हो कि मात्र एक वर्ष की परीक्षा देकर वे स्नातक उत्तीर्ण हो जाये।
सिफारिश में यह भी कहा गया है कि प्रथम वर्ष के जिन विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाये उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर प्रथम वर्ष के अंकों का भी निर्धारण किया जाना चाहिए। तीन कुलपतियों की इस कमेटी ने प्रदेश के अनरू विश्वविद्यालयों के कुलपतियों तथा शिक्षा क्षेत्र के अन्य प्रमुख लोगों से विचार विमर्ष के बाद इस रिपार्ट को तैयार किया है जिस पर सरकार को निर्णय लेना है।