गीता गोष्ठी महोत्सव में रहा वैदिक विद्वानों का जमावड़ा
गोण्डा। वाराणसी के प्रख्यात संत मनीषी राजर्षि गांगेय हंस ने कहा है कि धर्म की रक्षा के लिए कई गई हिंसा अहिंसा से बढ़कर है। अतीत में इसी सिद्धांत को भूलने से हिन्दुओं की दुर्दशा हो चुकी है। धर्म की रक्षा से ही देश व राष्ट्र के साथ हमारी रक्षा होगी।
संत राजर्षि हंस 18वें गीता गोष्ठी के वार्षिक महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। श्री हंस ने कहा कि गीता युद्ध के मैदान में कही गई जिसमें युद्ध को भी धर्म बताया गया है। उन्होंने कहा कि महाभारत में कहा गया है कि अन्याय के विरुद्ध क्रोध न करने वाले व्यक्ति का जीवन नपुंसक से भी बदतर है। उन्होंने कहा कि अहिंसा संस्कृति राष्ट्र, धर्म, व समाज की रक्षा के लिए घातक है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्मागम विभाग के अध्यक्ष भक्ति पुत्र रोहतम ने गोष्ठी में कहा कि गीता के कर्मयोग पर रीझ कर पाश्चात्य विद्वानों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा है कि गीता भगवान के मुंह से कही गई शास्वत वाणी है जो जीवन के प्रत्येक उलझन व समस्याओं का निदान करती है।
गोष्ठी में अयोध्या के योगाचार्य डा चौतन्य ने गीता को जीवन का शास्त्र बताया तो शास्त्री महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डा. मिथिलेश मिश्र ने स्कन्द पुराण में गीता महात्म्य पर उत्तम शुक्ल ने व्यावहारिक जीवन में गीता की महत्व पर सुल्तानपुर के स्वामी शिवानन्दाचार्य ने गीता के भक्ति तत्व और महादेवी हंस ने गीता के निष्काम कर्म पर प्रकाश डाला।
समारोह के आयोजक सुरेश दूबे ने कहा कि गीता पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने संवाद के रूप में कही गई थी। उस समय अन्य किसी धर्म का उद्भव नही हुआ था। गीता साम्प्रदायिकता से मुक्त मानव मात्र के कल्याण का ग्रंथ है ।
इस मौके पर भाजपा अध्यक्ष पीयूष मिश्रा, शेष नारायण मिश्र, अरुण शुक्ल, चन्द्रभाल मिश्र, धीरेन्द्र पाण्डेय, डा छोटे लाल दीक्षित, हियुवा नेता अशोक सिंह, सुशील पाण्डेय, मनोज सिंह , अनिल सिंह मौजूद रहे।
गीता ज्ञान प्रसार यात्रा में शामिल हुए श्रद्धालु
महोत्सव में रविवार को प्रातः दस बजे नगर की सैकड़ों श्रद्धालु महिलाओं पुरुषों की सम्मलित गीता प्रसार यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालु महिलाएं सिर पर कलश और पूजा थाल में पुष्प व गीता ग्रंथ सजाकर नगर के चौक पीपल चौराहा, गुड्डूमल चौराहे से होकर दुखहरणनाथ मंदिर तक भ्रमण किया और सागर तालाब के रास्ते रामलीला मैदान में वापस लौट कर यात्रा का समापन किया।
महोत्सव में रही संगीत की धूम
गीता महोत्सव में शास्त्रीय संगीत के स्थापित कलाकारों की राधा कृष्ण के भक्तिपरक भजन की प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं पर मोहक छाप छोड़ा। महोत्सव का शुभारंभ भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण शुक्ल के योगेश्वर श्री कृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण व द्वीप प्रज्जवलन से हुआ। गोष्ठी के संस्थापक सदस्य जनार्दन सिंह के संचालन व सत्य प्रकाश शुक्ल के निर्देशन में किरन पाण्डेय व डा. प्रतीति पाण्डेय बाल कलाकार रवि पाण्डेय ने शास्त्रीय व उप शास्त्रीय गीतों को प्रस्तुत कर महोत्सव को नई ऊंचाइयां दी। प्रतीति के अब तो दरस दे दो बनवारी, किरन पाण्डेय व सत्यप्रकाश के संयुक्त स्वर में जीवन तुमने दिया है, बीती जाए उमरिया व हे री मैं तो प्रेम दीवानी गीत काफी प्रभावशाली रहे। महोत्सव में युगल गायकों के संपूर्ण गीता के टी सीरीज से जारी कैसेट का लोकार्पण किया गया।
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