ई-अदालतें अपराधिक न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली के अन्य स्तंभों के साथ अंत:प्रचालनीय हो गई हैं। अंत: प्रचालनीय अपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएच) के अध्यक्ष और ई-समिति, उच्चतम न्यायालय के प्रभारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर ने 15 दिसम्बर, 2018 को मीडिया कान्फ्रेंसिंग के जरिए अदालतों और पुलिस के बीच आंकड़ों के सीधे इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान के माध्यम से तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले में प्रायोगिक स्तर पर इसकी शुरूआत की।
अंत: प्रचालनीय अपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएच) एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य अपराधियों पर नजर रखने के नेटवर्क और प्रणालियों (सीसीटीएनएस) को विभिन्न चरणों में ई-अदालतों और ई-जेल डेटाबेस के साथ-साथ अपराधिक न्याय प्रणाली के अन्य स्तंभों जैसे फोरेन्सिक, अभियोजन और किशोर न्याय गृहों से जोड़ना है।
देश भर की जिला और अधीनस्थ अदालतों का कम्प्यूटरीकरण करते हुए ई-अदालत परियोजना ने कार्यान्वयन के अंतिम चरण तक पहुंच कर, मिशन मोड परियोजना के सभी उद्देश्यों को हासिल किया है। ई-अदालतों में अब आईटीसी सक्षम 16,755 जिले और अधीनस्थ अदालतें हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड सभी साझेदारों को मामलों की ऑनलाइन जानकारी प्रदान करता है। वेब, ई-मेल, एसएमएस, मोबाईल एप्लीकेशन, बूथों और न्यायिक सेवा केन्द्रों के जरिए नागरिकों के अनुकूल अदालत से संबंधित जानकारी की सेवाएं अब हकीकत बन चुकी हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान सचिव (न्याय) डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने दो स्तंभों को जोड़ने के लिए ई-समिति, नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर और तेलंगाना के पुलिस विभाग की सराहना की। अपराधिक न्याय प्रदान करने की प्रणाली के इन दो महत्वपूर्ण स्तंभों यानी अदालतों और पुलिस स्टेशनों के बीच जुड़ाव अंत: प्रचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली की सफलता का केन्द्र है। वारंगल में हासिल इस सफलता के साथ तेलंगाना के अन्य सभी जिलों और अन्य राज्यों में भी न्यायिक व्यवस्था और पुलिस में इस उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के इस्तेमाल और दोनों स्तंभों को जोड़ने की संभावना बढ़ गई है।
अब अदालतें पुलिस से सीधे एफआईआर और चार्जशीट के आंकड़े प्राप्त कर सकती है। यदि पुलिस की प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक रूप में एफआईआर तैयार है, आईसीजेएस इंटरफेस अदालत को उपयोग में लाए जा सकने वाले एफआईआर आंकड़ों के तैयार होने के बारे में संकेत देगा। इसके बाद अदालत को एफआईआर संख्या, आरोपी के नाम, अपराध का विवरण, समय, तारीख, घटना के स्थान, गिरफ्तारी आदि का विवरण मिल जाएगा। अदालतें पुलिस से प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों को उपयोग में ला सकेगी बदले में अदालतें रिमांड का पूर्ण विवरण, जामनत का विवरण, सम्पत्ति छोड़ने आदि की जानकारी पुलिस को देंगी। पुलिस प्रत्येक एफआईआर के अपडेट और रिमांड, बेल, अथवा सम्पत्ति छोड़ने के बारे में अदालत द्वारा पारित आदेशों को देख सकेंगी।
इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में पुलिस के पास चार्जशीट तैयार हो जाने पर, इसे आईसीजीएस, इंटरफेस के जरिए अधिसूचित किया जाएगा और अदालतें चार्जशीट आंकड़ों को उपयोग में ला सकेंगी। इन विवरणों के अलावा कानून, अनुच्छेद, गिरफ्तारी की तारीख, बेल पर अथवा जेल में, अपराध के अन्य विवरणों, चार्जशीट संख्या, एफआईआर संख्या अदालत को भेजा जाएगा। अदालत इन आंकड़ों को प्रयोग में लाकर मामला सूचना प्रणाली में इसे स्वीकार कर सकती है। बदले में अदालत पुलिस को सीएनआर संख्या संपर्क भेजेंगी, सीएनआर संख्या मामला, पक्षों, वकीलों, पंजीकरण की तारीख, पहली सुनवाई और सुनवाई की अगली तारीख तथा मामले के सम्पूर्ण इतिहास और बिजनेस का विवरण देगी।
मामला पूरी तरह समाप्त हो जाने तक सीएनआर संख्या संपर्क की मदद से पुलिस को प्रतिदिन मामले के सम्पूर्ण विवरण के साथ अपडेट मिलते रहेंगे। पुलिस को समय-समय पर अदालत द्वारा दिए गए अंतिम आदेश एवं फैसले सहित आदेश और फैसले मिलते रहेंगे।