आगरा। जिले के शिक्षा विभाग ने विभाग के 10 हजार शिक्षको के वेतन का भुगतान रोक दिया है। इस सम्बध मे ंबेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियो को पत्र भी जारी कर दिया है। लेकिन यह कार्यवाही क्यो ंकी गयी है आपकों हम बताते है।
दरअसल मामला कुछ खास नही बल्कि कोरोना को लेकर इस तरह के आदेश जारी किये गये हैं। मामला केारोना की वैक्सीन से जुडा हुआ है। विभाग के सभी शिक्षकों तथा कर्मचारियो को कोरोना से सुरक्षित करेन के लिए थोडा कडा कदम उठाते हुए विभाग ने इस तरह के आदेश जारी किये है। जारी आदेश मे कहा गया है कि सभी खण्ड शिक्षा अधिकारी अपनी अपनै कार्यक्षेत्र मे स्थित सभी शिक्षकों तथा शिक्षणत्तर कर्मचारियों से कोरेाना की वैक्सीन लगाये जाने का साक्ष्य प्राप्त कर सुनिश्चित कर लें कि उन्होनंे टीकाकरण करा लिया है या नही। जिस भी कर्मचारी ने टीकाकरण नही कराया उसकी सूची दो दिन के अन्दर उपलब्ध करा दी जाये।
साथ ही लिखे पत्र मे यह भी कहा गया है कि जिले मे कार्यरत सभी शिक्षक एवं कर्मचारियों का जुलाई माह का वेतन कोरोना वैक्सीन लगाये जाने का प्रमाण पत्र प्रापत करने के बाद ही जारी किया जायेगा। जिले के प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी ब्रजराज सिंह का कहना है कि जिन भी शिक्षको ंया फिर कर्मचारियो को वैक्सीन लग चुकी है उनके प्रमाण पत्र सौपते ही उनका वेतन जारी कर दिया जायेगा।
हालाकि बीएसए के इस आदेश पर कुछ शिक्षको ंसहित कर्मचारी आक्रोशित भी है उनका आरोप है कि जिन कर्मचारियो ने एक नही बल्कि वैक्सीन की दोनेा डोज लगवा ली है उनका भी वेतन रोक दिया गया है।
प्रकरण पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संधं के जिला मंत्री बृजेश दीक्षित का कहना है कि बीएसए तथा वित्त एंव लेखाधिकारी शिखको को सजा देने का काम कर रहे है। यह मनमानी नही चलेगी इसके विरूद्व संगठन आन्दोलनात्मक रूख अपनायेगा। वही वित्त एंव लेखाधिकारी पंकज सिह का कहना है कि वास्तव मे ंयह आदेश कोषागार का है वही से इस बात के प्रमाण मांगे गये है कि शिक्षको ंएंव कर्मचारियो के कोरेाना वैक्सीन लगाये जाने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाये।