दृष्टिकोण

”स्त्री विमर्श महिला स्वास्थ्य एवं सुरक्षा” सामाजिक दर्पण का लाइव संगोष्ठी आयोजन

Written by Reena Tripathi

सामाजिक दर्पण-Social Mirror पेज की संस्थापिका एवं संचालिका #शकुन्तला तोमर ग्वालियर से है इस पृष्ठ का मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना कर युवा एवं बच्चों में इनका हस्तांतरण कर जोड़ना सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति रिवाज एवम संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों)पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य।

सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन के फेसबुक पटल हमेशा सामाजिक मुद्दों पर पर्यावरण सुरक्षा एवं जागरूकता,नशा नाश का कारण,आज के संयुक्त परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका,चलो गांव की ओर,नित्य अपनी प्रस्तुति देते हुए फिर उपस्थित आज बदलते परिवेश में मोबाइल और सोशल मीडिय से सम्बंधित विषय सोशल मीडिया का दुरुपयोग इसी कड़ी में सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन द्वारा स्त्री विमर्श- महिला स्वास्थ्य एवं सुरक्षा परिचर्चा में सहभगिता करने वालों मे रींना त्रिपाठी भारतीय विकास परिषद महामंत्री एवं शिक्षिका लखनऊ, नीतू तिवारी जौनपुर लखनऊ, नीतू मिश्रा काउंसलर केरल से, निशा सिंह सर्वजनहिताय संरक्षण समिति लखनऊ.सुखविंदर कौर शिक्षिका मुजफ्फरनगर से।

पेज की संस्थापिका शकुन्तला तोमर ने शिव रुद्राष्टकम मामिशमीशान निर्वाण रूपं….. की स्थिति के साथ कोरोना महामारी में विश्व एवं अपने देश की रक्षा की प्रार्थना के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम को संचालित करते हुए रीना त्रिपाठी ने कहा कि अर्थ के इस युग में हक और सम्मान की लड़ाई अक्सर महिलाओं को लड़नी पड़ती है यदि स्वस्थ और सुरक्षित होगी तो निश्चित रूप से देश समाज और परिवार की उन्नति करते हुए अपनी क्षमताओं का परचम चारों ओर लहरा पाएगी। समाज की महती आवश्यकता है की विभिन्न प्रकार के मंचों से महिला स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का मुद्दा मुखर तरीके से उठाया जाए।

केरल से जुड़ी नीतू मिश्रा जी ने बताया कि आज यदि स्त्रियों की दुर्दशा किसी भी क्षेत्र में है तो उसका मुख्य कारण अशिक्षा है यदि महिला पढ़ी-लिखी रहेगी तो अपने स्वास्थ्य अपने बच्चों के स्वास्थ्य और अपने परिवार की विभिन्न गतिविधियों के प्रति सजग रहेगी अतः महिलाओं को जरूरी है कि वह खुद का ध्यान रखें और सामाजिक आर्थिक राजनीतिक समानता लाने के लिए पढ़ाई पर जोड़ दें और आने वाली पीढ़ियों को भी शिक्षा देकर आगे बढ़ाएं। यदि महिला शिक्षित होगी तो उसे पोषक तत्व तथा खाने की गुणवत्ता के बारे में विशेष तौर पर पता होगा जिससे कि कुपोषण की समस्या उस घर में कभी नहीं होगी।

पुरुष पढ़ा लिखा होगा तो शायद एक व्यक्तित्व बनेगा परंतु यदि एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो एक शब्द भी परिवार बनेगा। नीतू मिश्रा ने बताया की सरकारों को तथा समाज को महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए।

मुजफ्फरनगर से जुड़ी सुखविंदर कौर जो कि शिक्षक है उन्होंने कहा कि बच्चियां आज के समाज में कई बार अपने शरीर में हो रहे परिवर्तनों की अज्ञानतावश गलत लोगों के द्वारा शोषण का शिकार हो जाती हैं क्योंकि उन्हें अपनी स्वास्थ संबंधी विभिन्न गतिविधियों के बारे में माताओं द्वारा जागरुक ही किया जाता है। मासिक चक्र के रूप में 12 साल से शुरू हुआ शारीरिक परिवर्तन महिलाओं को ताउम्र विभिन्न प्रकार के हार्मोन के बदलाव से गुजरने को विवश करता है क्योंकि यह प्राकृतिक प्रक्रिया है और यही वह अंतर है जो महिला और पुरुष की समानता होने के बाद भी विभिन्नता पैदा कर देता है। गांव स्तर पर आज समाज में जागरुकता कैंपेन और सरकारी योजनाओं का डॉक्टरों के द्वारा प्रचार प्रसार करने की जरूरत है।

जौनपुर उत्तर प्रदेश से नीतू तिवारी जो कि समाज सेवा और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए कार्य करती रहती हैं और शिक्षिका है उन्होंने बताया कि विद्यालयों तथा समाज सेवीसंगठनों द्वारा गांव में जागरुकता अभियान चलाने चाहिए बच्चियों को मेंस्ट्रूवल साइकिल ,पीरियड्स के बाद आने वाले समय में होने वाली समस्याओं के बारे में बताया जाए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून को बनाया जाना चाहिए। महिला संबंधित बिल संसद में विलंब से क्यों पारित होते हैं उन्हें महिला जनप्रतिनिधियों के द्वारा जल्द से जल्द पारित कराकर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए और यदि कानून बने हैं तो फिर उनका पालन कड़ाई से क्यों नहीं होता क्यों निर्भया जैसे कांड अक्सर सुनने को मिलते हैं।

कार्यक्रम मे लाइव जुड़े श्रोता डॉ कन्हैया लाल ने संयुक्त परिवार में बड़े बुजुर्ग महिलाओं की उपयोगिता के बारे में बताया वही सुमन दुबे ने बताया कि यदि महिला खुद जागरूक होंगी, तो वह अपने खान-पान का ध्यान रखते हुए अपने परिवार का ध्यान स्वयं रख पाएंगे क्योंकि किसी भी परिवार का पुरुष का पुरुष महिला को अच्छे खान-पान करने के लिए प्रोत्साहित ही करते हैं।

रीना त्रिपाठी ने कहा कि बच्चियों की शारीरिक समस्याओं की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है यदि उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाए संतुलित आहार दिया जाए तो उनके अंदर कैल्शियम और आयरन की कमी नहीं होगी इससे भविष्य में थोड़ा बड़े होने पर खून की कमी एनीमिया कैल्शियम की कमी विटामिन डी की कमी इत्यादि मूल विटामिंस की कमी से उन्हें नहीं जूझना पड़ेगा।

शकुन्तला तोमर ने बताया कि खाने में पोषक तत्व की कमी ना हो यदि हम घरेलू स्तर पर बच्चों को बचपन से ही गुड चना भुनी हुई मूंगफलीऔर एक केला इत्यादि खाने की आदत डाल दें तो बहुत हद तक कैल्शियम और आयरन की कमी का घरेलू रूप से ही निदान किया जा सकता है यदि सभी माताएं अपने बच्चों को एक गिलास दूध पीने की आदत डालें तो शायद उनका भविष्य कैल्शियम की कमी को नहीं देखेगा।हरी पत्तेदार सब्जियां यदि रोज खाने की आदत डाली जाए तो हिमोग्लोबिन की कमी से भी बचा जा सकता है।

यदि महिलाओं के अंदर बचपन से ही आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा रहेगी तो उन्हें कमजोरी चिड़चिड़ापन तथा भविष्य में महामारी संबंधित समस्याओं से भी निजात मिलेगी और उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्याओं से भी जूझने में आराम रहेगा।
रीना त्रिपाठी ने कहा कि बहुत आवश्यक है कि कामकाजी महिलाओं को जो विभिन्न विभागों में नौकरी करती हैं को पीरियड लीव दी जाए।
भारत में माहवारी पर बात कम की जाती है अक्सर चर्चा महिलाओं और लड़कियों को माहवारी से जुड़े किफायती उत्पाद देने और जागरूक करने से शुरू होती है और इसी पर खत्म होती है। लेकिन आज महिलाओं की परिस्थितियां बदल गई हैं उन्हें घर और बाहर दोनों ही क्षेत्रों में कार्य करने हैं अतःसिर्फ इतने से ही काम नहीं होगा और भी बहुत कुछ करने और कहने की जरूरत है।

महिलाएं और पुरुष ‘बराबर हैं पर हूबहू एक जैसे नहीं’…….प्रकृति ने जन्मजात अंतर रखते हुए हार्मोन के स्तर से बदलाव कर दिया है। जब एक लड़की अपने उम्र के आठवे से लेकर 12 वर्ष में पहुंचती है तो शायद एक असहज दर्द भरे उस एहसास से गुजरना पड़ता है पुरुष और महिला होने के प्राकृतिक अंतर से जुड़ना पड़ता है। साफ-सुथरे टॉयलेट के अभाव में दूरदराज काम करने वाले अध्यापक असहजता और गंभीर परिस्थितियों से गुजरने को विवश होते हैं लंबा सफर उन्हें दर्द भरे माहौल में काटना होता है जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक वेदना से गुजरना पड़ता है।

लखनऊ से जुड़ी शिक्षिका निशा सिंह ने कहा की अक्सर पढ़े लिखे समाज की माताएं उसकी डायट में भी ऐसी चीजों को शामिल कर देती है जिनमें आयरन और फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में हों दूध फल और पौष्टिक आहार बहुत जरूरी हो जाता है। ये सब पोषक तत्‍व आगे चलकर भी सेहतमंद रहने और हार्मोनल संतुलन के लिए फायदेमंद होते हैं। हालांकि गांव और कस्बों के स्तर पर अभी भी यह लुका छुपी का खेल ही है,माताएं ही जागरूक नहीं है। विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के द्वारा माताओं को जागरूक करना होगा।

संगोष्ठी में विचार विमर्श के पश्चात यह निष्कर्ष निकला कि गांव और शहर में बच्चियों और उनकी माताओं को जागरूक करने हेतु सरकार तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए तथा आर्थिक क्षमता के लिए घर से बाहर काम करने वाली महिलाओं कर्मचारियों को महीने के कठिन दिनों में अवकाश प्रदान करना चाहिए जैसा कि कई प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को दे रहे हैं। साथ ही महिलाओं को पौष्टिक आहार के खानपान पर विशेष जोर देना चाहिए यदि महिलाए खुद से प्रेम करेंगी तभी दुनिया उनसे प्रेम करेगी।

वहीं साप्ताहिक आयोजन में पधारे साहित्यकारों में
कवयित्री कविता सक्सेना सुजालपुर मध्यप्रदेश से अपनी अद्भुत काव्यकौशल मधुर कण्ठ और शानदार लेखनी से सबक मन मोह लिया।शायर जमुना प्रसाद बेताब जी मुंगावली से अपनी शायरी की बेहतरीन तरन्नुम के साथ पेशकश से सबके दिलों को जीत लिया,कवयित्री हरप्रीत कौर जी कानपुर से,कवयित्री दीपांजलि दुबे कानपुर उत्तरप्रदेश से शानदार छंदों की प्रस्तुति दी।कवयित्री मधु माधवी मैहर सतना से अपनी उत्तम लेखनी और मधुर आवाज में अपनी शानदार प्रस्तुति दी,नवोदित कवि आशीष सिन्हा ग्वालियर मध्यप्रदेश से,मोहम्मद रफी की जयंती की पूर्व संध्या और उनकी जयंती पर एक से बढ़कर एक गायक/गायिकाओं में प्रेम सिंह गंगानगर राजस्थान से, भरत व्यास प्रतापगढ़ राजस्थान से,बाल कलाकार कुमारी प्रिया भारती चंपारण बिहार , अपनी अद्भुत बेहतरीन प्रस्तुति से सबको आंनदित कर सबका मन मोह लिया।

सामाजिक दर्पण सोशल मिरर की संस्थापिका शकुन्तला तोमर ने पटल पर उपस्थित सभी श्रोताओं को विद्वानों को साहित्यकारों को सभी सहभागिता करने वाले साहित्यकारों अतिथियों की उपस्थिति को कोटि कोटि नमन एवं आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी के माध्यम से हमारी आसपास की महिलाओं और बच्चों में कुछ जागरुकता फैलेगी इसी आशा और उम्मीद के साथ सबको धन्यवाद ।

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Reena Tripathi

(Reporter)

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