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एक अययाश कि सनक ने किस तरह बनाया हरे भरे गांव को भूतों का डेरा

Written by Vaarta Desk

तमाम कोशिशों के बाद भी 200 वर्षो के बाद भी नहीं हो सका आबाद

जी हां यह कहानी एक ऐसे ही अययाश सख्श की है जिसकी सनक ने एक भरेपुरे हरे भरे गावं को रात ही रात में आबाद से वीरान बना दिया, इतना ही नहीं घटना के आज लगभग 200 साल होने को है लेकिन इस गांव को तमाम कोशिशों के बाद भी आबाद नहीं किया जा सका है। घटना के बाद से इस जगह को भूतों ने अपना डेरा बना लिया।

कहानी राजस्थान के जनपद जैसलमेर को गांव कुलधरा की है बताया जाता है कि यह गांव अन्य सभी गावों की तरह आज से लगभग 200 वर्षो पूर्व हरा भरा था यहां भी आम गावं की तरह खुशहाली और चहल पहल छायी रहती थी। लेकिन एक सनकी सख्श की सनक ने इसे रातों रात वीरान होने पर मजबूर कर दिया।

जानकारों की माने तो यह कहानी अकेले कुलधरा की नहीं बल्कि आस पास के 84 गावांं की है जहां पालीवाल ब्राहम्णों की आबादी हुआ करती थी, कुलधरा की कहानी इस लिए अलग है क्योंकि बाकी के 82 गावं तो धीरे धीरे आबाद हो गये परन्तु कुलधरा और खाभा तमाम सरकारी और आम जन के प्रयासों के बाद भी आबाद नहीं हो सका।

बतातें है कि इन 84 गावों का एक दीवान होता था जिसका नाम था सालम सिंह, सालम बहुत ही अययाश किस्म का था, एक दिन कुलधरा की एक खूबसूरत लडकी पर सालम सिंह की नजर पड गयी, सालम उसे पाने के लिए बेचैन हो गया, यह बेचैनी इस कदर बढ गयी कि उसने कोई रास्ता न देख गावं वालों को यह संदेश भेज दिया कि यदि उसे वह लडकी नहीं मिलती तो वह गांव पर हमला कर लडकी के ले जायेगा।
गांव के सम्मान की बात को लेकर 84 गांव के पालीवाल ब्राहम्णों की सभा बुलाई गयी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कुछ भी हो जाये हम अपने सम्मान से समझौता नहीं करेगें चाहे इसके लिए कुछ भी करना पडे। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि गावं को खाली कर दिया जायेगा। पालीवाल ब्राहम्णों ने रातोरात सभी 84 गांव को खाली कर दिया और किसी अनजान जगह पर चले गये। ब्राहम्णों ने गांव तो खाली कर दिया परन्तु जाते जाते गावं को ऐसा शाप दे गये जिसके कारण आज भी कुलधरा वीरान ही पडा है।

अब इस गांव को एएसआइ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने कब्जे में ले लिया जिसे वह सैलानियों के लिए खोल देता है। सैलानियों की माने तो उन्हें वहां आज भी लोगो की हलचल का अहसास होता है, महिलाओं के हसने, उनकी चूडियों की खनखनाहट, उनके पायलों की खनक सुनाई देती है उन्हें हरपल ऐसा अहसास होता है कि आज भी वहां पालीवाल ब्राहम्ण चहल कदमी और अपनी रोजमर्रा के कार्यो के कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने सैलानियों की सुरक्षा के लिए गावं की सीमा पर एक फाटक का निर्माण करा दिया है जिसे दिन में तो सैलानियों के लिए खोल दिया जाता है लेकिन रात में पूरी तरह से बंन्द कर दिया जाता है।

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