मानकविहीन ब्रेकर निर्माण के जिम्मेदारों पर कार्यवाही के बजाय नशे की हालत व बिना हेलमेट के वाहन न चलाने की जनसामान्य को दे डाली नसीहत
अपने विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करा जिलाधिकारी को करना चाहिए एक मिसाल कायम
गोण्डा ! जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने स्पीड ब्रेकर से सड़क दुर्घटना में घायल डाॅयट गोण्डा में कार्यरत कर्मी की दुखद और असामयिक मृत्यु पर गहरी संवेदना व्यक्त की है तथा जनसामान्य व बाइकर्स से अपील की है कि वे नशे की हालत में कदापि वाहन न चलाएं। इसके साथ ही यह भी अपील की है कि हेलमेट का प्रयोग जरूर करें तथा बाइक पर ट्रिपलिंग कतई न करें।
जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 आर0एस0 केसरी को निर्देश दिए हैं कि स्पीड ब्रेकर से घायल हुए लोगों के बेहतर उपचार की हर संभव व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। इसके अलावा उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि यातायात नियमों के तहत लोगों को हेलमेट का प्रयोग करने, ट्रिपलिंग न करने तथा नशे की हालत में गाड़ी न चलाने के जागरूकता अभियान जारी रखें।
ज्ञात हो कि विगत दिनों न जाने किसके आदेश पर हड़बड़ी और नियमों को दरकिनार कर जिलाधिकारी आवास के सामने स्पीड ब्रेकर का निर्माण आनन फानन में करा दिया गया ! इस निर्माण में ब्रेकर के इस निर्माण में सभी नियमों को ताक पर रखा गया जिसके चलते कई दुर्घटनाये सामने आयी जिसमे एक व्यक्ति की मौत के साथ ही कई अन्य जिन्दगी और मौत की जंग लडने को विवश हुए। रविवार को इन दुर्घटनाओ को देखते हुए जिलाधिकारी मार्कन्डेय शाही ने बे्रकर को तोडने और नियमो के तहत निर्माण का आदेश जारी कर दिया।
स्पीड बे्रकर के इस निर्माण और इसको तोडने का आदेश और इससे हुयी दुर्घटनाओ की चर्चा सोशल मीडिया पर बडी चर्चा का विषय रही। सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर ध्यान दिया जाये तो इसके लिए आम जनता सीधे तौर पर जिलाधिकारी को जिम्मेदार मान रही है। ओैर सूत्रो ंसे मिल रही जानकारी पर यकीन किया जाये तो यह पूरी तरह सत्य भी है। क्योकि उनके ही आदेश पर इस ब्रेकर का निर्माण किया जा रहा था।
अब सवाल यह उठता है कि यदि जिलाधिकारी आवास मे सामने हो रहे निर्माण मे भी इस तरह की धाधली और नियमो का उल्लघन किया गया तो जिले के गांव गिराव में होने वाले कार्यो मे ंकिसी तरह की धाधली की जाती होगी और उस पर जिलाधिकारी की किस तरह की निगाह होती होगी। दूसरा सवाल यह भी उठता है कि जब जिलाधिकारी के आदेश पर इस ब्रेकर का निर्माण किया गया और उससे होन वाली दुर्घटना मे किसी की मोैत तो कोई घायल हुआ हो तो क्या उसके लिए जिलाधिाकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार नही है और यदि जिलाधिकारी अपने को ईमानदार अधिकारी के रूप् मे देखा जाना पसंद करते है तो उन्हे पुलिस को इस बात के आदेश जारी करने चाहिए कि वह उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज करें।
लेकिन हैरानी तो उनके रविवार को जारी उनके आदेश पर होती है जिसमे ंउन्होनें मृत्यू पर संवेदना तो व्यक्त की है लेकिन इसके लिए न तो स्वयं जिम्मेदारी ली है और न ही किसी अन्य अधिकारी या विभाग को जिम्मेदार ठहराया हेै। सबसे खास बात तो यह है कि मामूली भ्रष्टाचार की घटनाओं पर कडी कार्यवाही औरं जांच बिठाने वालीे जिलाधिकारी ने इस बडी घटना पर जांच की भी बात नही कही है।