जिलाधिकारी डॉ० उज्ज्वल कुमार ने बताया है कि मा० राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, नई दिल्ली द्वारा प्रतिबन्धित मत्स्य प्रजाति थाई मांगुर का पालन अभी भी जनपद में कुछ व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है और स्थानीय बाजारों में थाई मांगुर मछली विक्रय की सूचना निरन्तर प्राप्त हो रही है। जबकि थाई मांगुर मछली की प्रजाति का पालन देश के सभी राज्यों में पूर्णतयः प्रतिबन्धित है।
उन्होने बताया कि यह मछलियां मांसाहारी प्रवृत्ति की होने के कारण इनके पालने से स्थानीय मत्स्य सम्पदा को क्षति पहुंचाने के साथ-साथ जलीय पर्यावरण को असन्तुलन एवं जनस्वास्थ को खतरा होने की संभावना बनी रहती है, साथ ही उक्त प्रजातियों की मछलियों को सड़ा-गला मॉस खिलाने से आस-पास का वातावरण भी प्रदूषित होता है।
उन्होने समस्त उप जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि थाई मांगुर मछली का पालन, मत्स्य बीज आयात / संचयन, मछली का परिवहन एवं इनको खिलाये जाने वाले स्लोटर हाउस के मॉस के अवशेष/अपशिष्ट की आपूर्ति को पूर्णतयः रोकने के लिये अपनी-अपनी तहसील क्षेत्र में मत्स्य विभाग के कर्मचारियों/लेखपालों के माध्यम से प्रतिबन्धित थाई मांगुर पाल रहे मत्स्य पालकों का चिन्हांकन कर उनको नोटिस निर्गत करके तत्काल प्रतिबन्धित प्रजाति की मछलियों के पालन, विक्रय, आयात, निर्यात अथवा स्टॉक की उपलब्ध होने पर/संज्ञान में आने पर नियमानुसार विनिष्टीकरण आदेश जारी करते हुए मत्स्य विभाग के अधिकारियों एवं आवश्यक पुलिस बल के साथ टीम गठित कर प्रतिबन्धित मछलियों एवं मत्स्य बीज के विनिष्टीकरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए तथा विनिष्टीकरण में व्यय हुई धनराशि सम्बन्धित मत्स्य पालक/हैचरी स्वामी विक्रेता से वसूल की जाये।
उन्होने कहा कि चिन्हित किये गये मत्स्य पालकों एवं विक्रेताओं की सूची तथा की गयी कार्यवाही की सूचना से अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराना सुनिश्चित किया जाये।
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