(यूएनएन) नई दिल्ली :- देशभर के विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में मंगलवार से दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है। वामपंथी पार्टियां और इससे संबद्ध यूनियनों की ओर से आहूत इस बंद में देश के कई किसान और शिक्षक संघ भी हिस्सास ले रहे हैं। इस दौरान सड़कों पर परिवहन, बैंकों में कामकाज और स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होने के आसार हैं। प्रदर्शनकारी विभिन्न क्षेत्रों में रेल व रास्ता रोको प्रदर्शन कर रहे हैं। विभिन्ने ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन को देखते हुए देश में कई शिक्षण संस्थाननों में बंद घोषित कर दिया गया है। कई ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है। केंद्रीय श्रमिक संघों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की नीतियों को ‘श्रमिक विरोधी’ करार दिया है और सरकार पर एकतरफा श्रम सुधार करने का आरोप लगाया है। ट्रेड यूनियनों की मांगों में वेतन वृद्धि, रोजगार, पदोन्नीति के साथ-साथ न्यूथनतम समर्थन मूल्यम (MSP) में बढ़ोतरी सहित कई अन्य मांगें भी शामिल हैं। श्रमिक संघ ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध कर रहे हैं।
बंद के तहत दिल्लीो में AICCTU के सदस्योंम ने पटपड़गंज में मार्च निकाला। कर्नाटक में राज्य सड़क परिवहन निगम ने भी बंद को समर्थन दिया है, ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के समर्थन में बसें और कुछ निजी बसें भी सड़कों से नदारद हैं, जिसके कारण यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। केरल में बंद का व्यासपक असर देखा जा रहा है, यहां प्रदर्शनकारियों ने सोमवार आधी रात के बाद से ही रेल लाइनों को बाधित करना शुरू कर दिया था, प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनें देरी से चल रही हैं। आसनसोल में सीपीएम और तृणममूल कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। इसके चलते पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सीपीएम कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है।भुवनेश्वीर में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से आम लोगों को भी दिक्ककतों का सामना करना पड़ा। पश्चिम बंगाल में ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने हावड़ा में अपनी मांगों को लेकर रेलवे लाइन ब्लॉक कर दिया।