उत्तर प्रदेश गोंडा शिक्षा

पर्यावरण दिवस पर आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी, विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध पत्र

गोंडा । हमारा अपना देश भारत वनों, वनस्पतियों की प्रचुरता और जैव विविधता के मामले में अत्यंत समृद्ध रहा है। औषधीय पौधों की खोज जिन ऋषियों-मुनियों ने किया, उन्होंने अपने ग्रंथो और मंत्रों में इसके साथ ही पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के महत्त्व को समझाया है। प्रकृति और पर्यावरण के प्रति हमारी दृष्टि अत्यंत निर्मल, सहभाव से युक्त और पूज्य भाव से युक्त रही है। भारतीय संस्कृति धरती, पेड़-पौधों, नदी, पहाड़, जीव-जंतु सबको पूजने के हद तक महत्त्व देती रही है। ये बातें विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में आइक्यूएसी, विज्ञान संकाय और जनपद के वन विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में पर्यावरणीय संकट पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० एन. के. दूबे, वनस्पति विज्ञान, बीएचयू ने कहीं। अपने वैदुष्यपूर्ण वक्तव्य में उन्होंने वनस्पतियों के महत्त्व को बहुविध समझाया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ. उज्ज्वल कुमार, जिलाधिकारी, गोंडा ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाने के औचित्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि धरती को हरा-भरा बनाने और अपशिष्ट प्रबंधन करने की सामयिक आवश्यकता है। पौधारोपण का कार्यक्रम निष्फल नहीं जाता, उन पौधों की देखरेख कर लेने से, समय पर पानी दे देने से वे तैयार हो जाते हैं। ये वृक्ष धरती के आभूषण हैं, विष पीने और अमृत प्रदान करने का काम करते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम पॉलीबैग को नियंत्रित करें। उन्होंने उपस्थित सभी से यह संकल्प लेने के लिए कहा कि बाजार जब भी जाएँ, सामान लाने के लिए कपड़े या जूट आदि का थैला अवश्य ले जाएं। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार जी ने उपस्थित जन समुदाय को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण को नष्ट करके किसी भी तरह की प्रगति विनाश है, विकास नहीं।

महाविद्यालय प्रबंध समिति की उपाध्यक्ष वर्षा सिंह ने पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर जागरूक करते हुए महाविद्यालय परिसर को उदाहरण बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई आपके महाविद्यालय अथवा नगर को गंदा करता है तो उसके सामने ही सफाई करके उसे शर्मिंदा करें, निंदा करने से काम नहीं चलेगा।
प्रबंध समिति के सचिव उमेश साह ने शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं तथा उपस्थित सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं दीं। प्राचार्य प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार पांडेय ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता सहित सबका स्वागत किया। प्रथम, द्वितीय सत्रों में पूर्व प्राचार्य ओ. पी. मिश्र, डॉ. जे. पी. तिवारी, डॉ. दिनेश पांडेय, कालीचरण कॉलेज, लखनऊ ने अध्यक्षता की।

इस अवसर पर ‘ओनली वन अर्थ’ की थीम पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में दीक्षा शर्मा, राधा मिश्रा, आफरीन बानो को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किया। सादिया खान, रा. फातिमा को सांत्वना पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। निर्णायक मंडल में डॉ. राजीव रंजन और डॉ. श्रवण कु श्रीवास्तव ने उत्कृष्ट पोस्टर को चयनित किया।

सेमिनार में शोध पत्र के माध्यम से डॉ. चमन कौर, केडीसी के डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, डॉ. एन. के. शुक्ल सहित शोधार्थियों/विद्यार्थियों में राजेश कुमार, सौम्या मिश्रा, कुशाग्र कु श्रीवास्तव ने पर्यावरण समस्याओं के समाधान हेतु महत्त्वपूर्ण बातें रखीं।

इस अवसर पर शोध केंद्र के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र नाथ मिश्र, आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ. राम समुझ सिंह, डॉ. अतुल कुमार सिंह, डॉ. श्याम बहादुर सिंह, डॉ. संदीप श्रीवास्तव, डॉ. बी. पी. सिंह, डॉ. श्रवण कुमार श्रीवास्तव, डॉ. मुकुल सिन्हा, डॉ. अभय श्रीवास्तव, डॉ. शशिबाला, डॉ. जय शंकर तिवारी, डॉ. चमन कौर, डॉ. मनोज मिश्रा, डॉ. ममता शुक्ला, डॉ. दिलीप शुक्ला, अमित शुक्ल, संजय वर्मा सहित अन्य शिक्षक एवं शोधकर्ता मौजूद रहे। अन्य शोधकर्ताओं ने इस अवसर पर शोधपत्रों का वाचन किया।

विज्ञान संकाय के डॉ. पुष्यमित्र मिश्र, डॉ. संतोष श्रीवास्तव, मनीष शर्मा, डॉ. शिशिर त्रिपाठी ने आयोजन सचिव के रूप में संगोष्ठी के आयोजन में योगदान किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० रेखा शर्मा ने किया।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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