उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

शव वाहन सेवा हुई ठप, चालकों की शिकायत को भी प्रशासन ने किया रद्दी के हवाले

जान जोखिम में डाल कर वाहनों का किया जा रहा संचालन

शव वाहन चार, सभी खराब, अधिकारी लाचार

गोंडा।मंडल का गौरव कहे जाने वाला बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय अपनी स्वास्थ सेवाओं की विशेषताओं को लेकर सजग नही दिखाई पड़ता। प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी संवेदन शील शव वाहन सेवा कागजी बन कर रह गया है। शव वाहन के चालक अधिकारियों से इसके निर्बाध संचालन के लिए तेल की आपूर्ति,एवम इसके मेंटीनेंस को लेकर कई बार अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं किंतु दो सप्ताह बीत जाने के पश्चात भी समस्या का निस्तारण तो दूर इस समस्या को लेकर कोई चर्चा तक नही की।जा रही है , शव वाहन सेवा पूरी तरह बंद है, एक शव वाहन के भरोसे नाम मात्र के लिए कार्य लिया जा रहा है,वह भी अत्यंत जर्जर अवस्था में है ।उधर दूसरी ओर मृतक मरीजों के तीमारदार अन्य निजी।वाहनों से शव को ले जाने के लिए विवश है।

क्यों की जा रही है हीला हवाली ?

शव वाहन चार हैं।दो शव वाहन मुख्य चिकित्साधिकारी के द्वारा अस्पताल को उपलब्ध कराए गए हैं,जिनके तेल की आपूर्ति एवम मेंटीनेंस का जिम्मा सीएमओ कार्यालय के पास है।

दूसरी ओर दो शव वाहन का संचालन जिला अस्पताल के द्वारा।किया जा रहा है। इन वाहनों पर चार चालको को संविदा के द्वारा नियुक्त किया गया है।दो वाहन चालक,पिंटू,माधव, को सीएमओ कार्यालय के द्वारा अरुण सिंह, श्रवण सिंह को अस्पताल प्रशासन के द्वारा नियुक्त किया गया है।

सीएमओ कार्यालय अपने एक वाहन को बजट न होने की बात कह कर पिछले तीन माह से तेल की आपूर्ति को बंद किए हुए है, जबकि दूसरे वाहन में यांत्रिक खराबी के कारण संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है। जिला अस्पताल अपने वाहनों का मेंटीनेंस समय से नही करा पा रहा है जिसके कारण एक वाहन की स्टेयरिंग जाम है, चालक सीट उखड़ी हुई है, हूटर टूटा हुआ है, इंजिन ऑयल ब्रेक ऑयल नदारद है। दूसरे वाहन में टायर खत्म है, इंजिन जर्जर है, अन्य कई यांत्रिक खराबी मौजूद है।
इन वाहनों के निर्बाध संचालन के लिए वाहनों का फिट होना जरूरी है,किंतु इनमे से दो वाहन तो ऐसे हैं जिनके कागजात तक पूरे नही है। खतरे की बात करें तो तीन शव वाहन अभी तक बिना नंबर प्लेट के ही सड़को पर दौड़ रहे है।

वाहन चार लेकिन संचालन का जिम्मा दो जगह बंटा होने के कारण भी संचालन में बाधा आ रही है।जब इस संबंध में कोई बात या जानकारी की जाती है तो अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते है यह कह कर की यह गाड़ी हमारी नही अन्य जगह से है।

गंभीर नहीं है अधिकारी इसके संचालन को लेकर

खराब शव वाहनों को पुनः ठीक करा कर निर्बाध रूप से इसके संचालन को लेकर अधिकारियों में गंभीरता का अभाव नजर आता है। सच तो यह है कि इस महत्वपूर्ण सेवा का संचालन अधिकारी नही बाबू लोग करा रहे है।
जिला अस्पताल में खराब पड़े शव वाहनों के मेंटीनेंस को लेकर अधिकारी जब बाबुओं से बात करते है तो उन्हें कई सारे पेंच,अड़चने बता कर कार्य को स्थगित कर दिया जाता है।कुछ रोज पहले जब वाहनों को बनवाने के लिए वी तेल की आपूर्ति किए जाने की बात अधिकारियों से की गई तो बाबुओं को निर्देशित किया गया था की प्राथमिकता के आधार पर इन वाहनों को बनवाया जाए ,तेल की आपूर्ति की जाए किंतु उनका यह आदेश हवा हवाई साबित हुआ।जब वाहन चालकों से बात की गई तो उन्होंने यही बताया की एक हफ्ते तक।बाबुओं के चक्कर लगाते रहे अंत में न तेल मिला न वाहनों को बनवाने के लिए कुछ किया गया।थक हार कर हम लोग फिर जैसे थे वैसे ही अपने काम में लगे हुए हैं।

इस तरह अधिकारियों के आदेश की अवहेलना होने के पश्चात भी अधिकारियों का जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही न करना इस बात का संकेत है कि अधिकारी खुद इसके संचालन को लेकर गंभीर नहीं है।

बनवाना चाहिए शव वाहन, बनने भेज दिया ए एल एस एंबुलेंस

कहते है की,बिना लाभ के, कोई कार्य, कोई नही करता, ठीक इसी तरह अस्पताल के अंदर भी सब कुछ इसी तर्ज पर किया जा रहा है।अस्पताल सूत्रों की माने तो यह बात सामने निकल कर आ रही है कि एक ए एल एस एंबुलेंस की सर्विस खत्म हो रही थी,उसे अस्पताल प्रशासन ने बनने के।लिए भेज दिया।इस वाहन में कुछ खर्चा लगना नही था,इसलिए उसे भेजा गया।जबकि।शव वाहनों को बनवाने के।लिए रकम लगनी है तो इसके कार्य के लिए टाल मटोल किया जा रहा है।

अस्पताल सूत्र तो यहां तक बताते रहे हैं कि शव वाहनों के बनवाने के पीछे 40% कमीशन की।डिमांड अस्पताल के एक लिपिक के द्वारा की जा रही है,इसी कारण इन वाहनों को अनुबंधित फर्म में बनने के लिए नही भेजा जा रहा है।चूंकि अनुबंधित फर्म कोटेशन के द्वारा बिल का भुगतान लेती है और उसके द्वारा किसी भी प्रकार का सुविधा शुल्क अस्पताल लिपिक को प्राप्त नहीं होता था,इसलिए उस फर्म का भुगतान कई बार नही किया गया जिसके चलते लाखो रुपए का भुगतान फर्म का फंसा हुआ है।इन्ही कारणों के चलते फर्म ने इन वाहनों के मेंटीनेंस किए जाने से अपने हाथ खड़े के दिए।

दूसरी ओर अब अस्पताल कार्यालय इन वाहनों को बनवाए जाने के लिए बिना कोटेशन के ही कार्य करना चाहता है।लेकिन कोई मनमाफिक फर्म उसे अभी तक नही मिली है जो उसके 60%+40% के जादू को समझ कर कार्य के लिए राजी हो सके।

इन्ही सब कारणों के चलते शव वाहन सेवा बाधित है या यूं कहना कुछ गलत न होगा की इसे रोक कर रखा गया है।

क्या कह रहे है अधिकारी

जिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर इंदु बाला का कहना है कि वाहनों के फिटनेस के लिए लिखा पढ़ी की जा रही है, नंबर प्लेट के लिए आन लाइन आवेदन किया जा रहा है, जो भी खराबी वाहनों में है उसे अस्पताल के खर्च से करवाया जा रहा है। जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जायेगा।

About the author

अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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