धर्म संस्कृति

(किश्त-3) एक गैर-इतिहासकार की इतिहास यात्रा: किष्किंधा से हम्पी तक (भाया विजयनगर)

Written by Vaarta Desk

अंजनिपुत्र पवनसुत नामा…

दावे अपने-अपने:
कहां जन्म हुआ केसरीनंदन महावीर हनुमान का…

सनातन धर्मावलंबियों,जिसे आमतौर पर हिन्दू धर्मावलंबी भी मान लिया जाता है,के बीच सबसे लोकप्रिय तस्वीरों में एक है-रामदरबार का। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम,माता जानकी के साथ सिंहासनाढ़ूढ़ हैं।अगल-बगल भरत और शत्रुघ्न हैं,चरणों में सेवारत हनुमान और लक्ष्मण हैं।लेकिन,सच यह है कि हनुमान की मूर्तियां और मंदिर स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-जानकी से ज्यादा हैं।किसी गांव में,किसी टोला-मुहल्ला में चले जाइए-एक देवीस्थान जरूर मिलेगा।देवीस्थान में कोई जरूरी नहीं कोई साकार मूर्ति हो।पहली साकार मूर्ति महावीर हनुमान की मिलेगी।जब महावीर हनुमान की यह लोकप्रियता हो,वह जन-आस्था के इतने बड़े प्रतीक हों,तो उनके जन्मस्थान को लेकर तरह-तरह के दावे हैं।

पहला दावा: झारखंड का

गुमला जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर एक गुफा को आंजनधाम के नाम से ख्यातिप्राप्त है.यह माता अंजनी(हनुमान की मां) का निवास स्थान माना जाता है,सो इसे आंजनेय के नाम से भी जानते हैं.यहां 360से ज्यादा शिवलिंग मौजूद थे.यह भी कि यहां इतने ही तालाब भी थे।मां अंजनी शिव की बड़ी भक्त थी.वह यहां स्नान करती थी और शिव की आराधना करती थी.इस इलाके में अभी भी 100से ज्यादा शिवलिंग और तालाब इस बात की गवाही देते हैं.अंजना पहाड़ी पर एक चक्रधारी मंदिर भी है,जिसमें आठ शिवलिंग हैं और इनके ऊपर बड़े पत्थर का बना एक चक्र है,जो अष्टशंभू के नाम से विख्यात है।

इस गुफा से लगभग 35किमी की दूरी पर पालकोट है,जिसे रामायण में वर्णित पंपा सरोवर बताया जाता है।पंपा सररोवर में प्रभु श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ स्नान किया था.

एक बार आदिवासियों ने आंजनेय गुफा में बकरे की बलि दे दी थी.इससे मां अंजनी को गुस्सा आ गया और उन्होंने गुस्से में गुफा का मुंह बंद कर लिया था.तब से यह बंद पड़ा था,जिसे कुछ दिन पहले खोला गया है.

आंजन गुफा की लंबाई 1500फीट से अधिक है, जिसके दूसरे सिरे पर खटवा नदी है।मान्यता है कि माता अंजना खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान कर लौट आती थीं।एक मान्यता के अनुसार रामायण काल में ऋषि-मुनियों ने सप्त जनाश्रम स्थापित किए थे।इनमें से दो आश्रम झारखंड में बताए जाते हैं-पहला आंजनधाम व दूसरा टांगीनाथ धाम है।

जनाश्रम के प्रभारी थे-अगस्त्य,अगस्त्यभ्राता, सुतीक्ष्ण,मांडकणि,अत्रि,शरभंग व मतंग।यहां सात जनजातियां निवास करतीं थीं-1.शबर,2.वानर, 3.निषाद्, 4.गृद्धख्,5.नाग,6.किन्नर व 7.राक्षस।

दूसरा दावा:हरियाणा का

हरियाणा के लोगों का दावा है कि कैथल शहर ही हनुमान का जन्मस्थान है।कैथल शहर में पार्क रोड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।इस मंदिर को हनुमान की मां अंजनि के नाम पर ‘माता अंजनी का टीला’नाम से भी जाना जाता है।एक मान्यता के अनुसार कैथल कपिस्नाथल का अपभ्रंश है।इसी मंदिर और टीले के कारण जिले का नाम कैथल पड़ा था।कपि के राजा होने की वजह से ही हनुमानजी के पिता केसरी को कपिराज कहा जाता है।

तीसरा दावा:डांग (गुजरात) का

यहां के लोगों की प्रबल मान्यता है कि हनुमानजी का जन्म यहीं हुआ था। लोककथाओं के अनुसार डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था।डांग जिले के आदिवासियों की हमेशा से यह मान्यता रही कि भगवान राम वनवास के दरमियान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे।

डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे।शबरी भील समाज से थी।आज यह स्थल शबरीधाम नाम से जाना जाता है।शबरीधाम से लगभग 7किमी की दूरी पर पूर्णा नदी पर स्थित पंपा सरोवर है।यहीं मतंग ऋषि का आश्रम था।

डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मान्यता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्ररत्न यानि हनुमान की प्राप्ति हुई थी।आदिवासी मानते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे।

चौथा दावा: महाराष्ट्र का

महाराष्ट्र के लोगों का दावा है कि नासिक के निकट अंजनेरी पर्वत पर महाबली हनुमान जी के जन्म व बाल लीलाओं के साक्षात प्रमाण हैं।विष्णु पुराण, नारद पुराण व शिव पुराण के अनुसार महादेव के सबसे शक्तिशाली धाम त्र्यंबकेश्वर के पास अंजनेरी पर्वत की सबसे ऊँची चोटी पर एक गुफा है।यहाँ माता अंजनी ने 108वर्षों तक भगवान शिव की आराधना व तपस्या की थी।तब भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया।जिसके फलस्वरूप माता अंजनि को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई।हनुमानजी भगवान शिव के ही अंश अवतार हैं।माता अंजनी,गौतम ऋषि व अहिल्या देवी की पुत्री थी।

अंजनेरी पर्वत नासिक से 20km दूर त्र्यंबक रोड पर स्थित है।इस पर्वत पर एक अंजनेरी किला भी है।

यहाँ 108 जैन गुफाएँ भी हैं जो 12वीं शताब्दी से जुडी हैं।

अंजनेरी पर्वत पर हनुमानजी का एक सिद्धमंदिर है। यहाँ जब भी यज्ञ होता है,अग्निकुंड में हनुमानजी की आकृति नज़र आती है।यहाँ हनुमानजी की विशाल मूर्ति ध्यान मुद्रा में है।कुछ किलोमीटर पथरीले रास्तों में आगे चलने पर अंजनी माता का मंदिर है,जिसमें वह अपनी गोद में बाल हनुमान को उठाए हुए है।यही वह जगह है,जहाँ अंजनी माता की कुटिया थी, जिसमें रहकर उन्होंने तप किया था।

इस मंदिर से थोड़ा और आगे एक कुण्ड है,जिसका पानी कभी नहीं सूखता।इसकी कहानी बड़ी रोचक है।एक बार बाल हनुमान को भूख लगी,तब उन्होंने अपनी माता से कहा कि मुझे भूख लगी है।उनकी माता ने कहा जाओ वृक्ष के फल खा लो।लेकिन महाबली को तो पेड़ पर फल की जगह लाल सूर्य दिखे,जिसे वह फल समझ कर खाने के लिए चल दिए।जैसे ही उन्होंने पश्चिम से पूर्व की ओर छलांग लगाई,तो उनका बायाँ पैर इस जगह पर पड़ा। तब से यह कुण्ड उन्हीं के पैर का निशान है।इस कुण्ड से आगे बढ़ने पर एक गुफा है,यहाँ अंजना माता और सीता माता मिली थी।इसी कारण इस गुफा का नाम अंजना माता और सीता माता मिलन गुफा है।

पांचवां दावा आंध्रप्रदेश का

आंध्रप्रदेश की तिरुपति तिरुमला देवस्थानम बोर्ड ने घोषणा की है कि हनुमानजी का जन्म आकाशगंगा जलप्रपात के नजदीक जपाली तीर्थम में हुआ था। देवस्थानम के द्वारा राष्‍ट्रीय संस्कृत विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुरलीधर शर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई पंडित परिषद ने हनुमान जन्मस्थान के संबंध में एक शोधपत्र तैयार करके रिपोर्ट बनाई है। जिसमें अनेक पौराणिक,भौगोलिक,साहित्यिक और वैज्ञानिक तथ्‍यों एवं सबूतों का हवाला देकर अंजनाद्रि पहाड़ी को हनुमान जन्मस्थान सिद्ध किया गया है।यह तिरुमाला की 7पहाड़ियों में से एक है।

पंडित परिषद के अनुसार,वाल्मीकि रामायण के सुंदरकाण्ड के 35वें सर्ग के 81से 83 श्लोक तक यह स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि माता अंजनी ने तिरुमाला की इस पवित्र पहाड़ी पर हनुमानजी को जन्म दिया था।इसके अलावा महाभारत के वनपर्व के 147वें अध्याय में,वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के 66वें सर्ग,स्कंदपुराण के खंड1,श्लोक 38 में,शिवपुराण शतपुराण के 20वें अध्याय और ब्रह्मांड पुराण श्रीवेंकटाचल महामात्य तीर्थकाण्ड में भी इसका उल्लेख है।कम्ब रामायण और अन्नमाचार्य संकीर्तन भी इसी स्थान का संकेत हैं।

… लेकिन,सबसे मजबूत दावा हम्पी(कर्नाटक)के नजदीक अंजनाद्रि पर्वत का,जिसकी यात्रा मैंने विगत 12जुलाई को की।

पंकज कुमार श्रीवास्तव

        रांची

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