राष्ट्रीय लाइफस्टाइल

इतिहास : राष्ट्रध्वज, पल पल बदलता स्वरूप

Written by Vaarta Desk

वर्ष 1857के स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत राष्ट्रध्वज बनाने की योजना बनी थी,लेकिन वह आंदोलन असमय ही समाप्त हो गया।राष्ट्रध्वज को वर्तमान स्वरूप मिलने के पहले यह प्रक्रिया कई चरणों से गुजरी।कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं :-

प्रथम ध्वज 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था,जिसे 7अगस्त,1906को पारसी बागान चौक( ग्रीनपार्क)कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में फहराया गया।इस ध्वज को लाल,पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।ऊपर की हरी पट्टी में आठ कमल थे और नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चांद था।बीच की पीली पट्टी पर वंदेमातरम् लिखा था।

द्वितीय ध्वज को पेरिस में मैडम भीखाजी कामा और अन्य क्रांतिकारियों द्वारा 22अगस्त,1907को फहराया गया था।।यह भी पहले ध्वज के समान था;सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल था,किंतु सात तारे सप्तऋषियों को दर्शाते थे।यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

1917में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष ने निश्चय ही एक नया मोड़ लिया।डॉ॰ एनी बेसेंट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने घरेलू शासन(होम रूल)आंदोलन के दौरान तृतीय ध्वज को फहराया।इस ध्वज में 5लाल और 4हरी क्षैतिज पट्टियाँ एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर सात सितारे बने थे।ऊपरी किनारे पर बायीं ओर(खंभे की ओर) यूनियन जैक था।कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।

कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में आंध्रप्रदेश के युवक पिंगली वेंकैया ने एक झंडा गांधीजी को दिया।यह दो रंगों-लाल और हरा-का था,जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है।गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।

वर्ष 1931 राष्ट्रध्वज के इतिहास का एक स्मरणीय वर्ष है।तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया।यह ध्वज,जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है-केसरिया,सफेद और मध्य में गांधीजी के चलते हुए चरखे के साथ था।यह स्पष्ट किया गया कि इसकी कोई साम्प्रदायिक प्रासंगिकता नहीं है।

 

22जुलाई,1947 को संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया।इसमें केवल चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को स्थान दिया गया।इस प्रकार,तिरंगा नए भारत का राष्ट्रध्वज बना।

पंकज कुमार श्रीवास्तव

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