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नियुक्ति पत्र के बदले बाबू मांग रहा 50 हज़ार की रिश्वत, भटक रही गैर जनपद से आई युवतियां

भ्रष्टाचार के चंगुल में जकड़ा जिला, जिलाधिकारी की भूमिका मीटिंग बैठक तक सीमित

जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर सीएमओ तक कि भूमिका संदिग्ध

देखिये क्या कह रही पीड़ित युवतियां

गोण्डा। संविदा से स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्त हुई कुछ लड़कियां बीते शनिवार को ज्वाइनिंग लेटर लेने हेतु अपने परिजनों के साथ सीएमओ कार्यालय पहुंची। जहां पर पटल लिपिक शशिकांत सिंह द्वारा एक-एक महिलाओं व लड़कियों को अपने कक्ष में बुलाकर ज्वाइनिंग लेटर दिया जा रहा था। ततपश्चात कुछ लड़कियां लिपिक के कक्ष से मायूस होकर बाहर निकली और अपने परिजनों से बात करने लगी कि जितने रुपए की मांग लिपिक द्वारा की जा रही है उतने रुपए हमारे पास मौजूद नही है। इतने में संबंधित लिपिक अपने कक्ष से बाहर आकर नीचे चला गया।

प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण घटना तब घटी जब लगभग एक घण्टे तक संबंधित बाबू की प्रतीक्षा करने के बाद परेशान होकर उनके परिजनों द्वारा जिलाधिकारी के नम्बर पर शिकायत कर पूर्ण मामले से अवगत कराने पर फोन रिसीव करने वाले द्वारा कहा गया कि सीएमओ से कह दिए हैं जाकर उनसे मुलाकात कर लीजिए। लेकिन जब परिजनों द्वारा सीएमओ डॉ0 रश्मि वर्मा से शिकायत किया गया तो उन्होंने हैरान करने वाला उत्तर देते हुए कहा कि लिपिक शशिकांत सिंह न्यायिक कार्य के चलते न्यायालय गए हैं दूसरे दिन आना।

अधिकारियों कर्मचारियों के भ्रष्ट आचरण से आहत नोएडा निवासी बन्दना, रायबरेली निवासी अम्बिका व सुल्तानपुर निवासी कंचन ने मीडिया के समक्ष आप बीती सुनाते हुए कहा कि यहां के लिपिक शशिकांत सिंह द्वारा एक-एक कर कई लड़कियों व महिलाओं को कक्ष में बुलाकर ज्वाइनिंग लेटर दिया गया जबकि हम लोगों से 20 हजार से 50 हजार रुपए की मांग किया गया। लिपिक द्वारा मांग की गई भारी भरकम रकम देने में हम सभी अक्षम रहीं। इसलिए लिपिक ने हम सभी को ज्वाइनिंग लेटर दिए बगैर सीट से उठकर चले गए।

यहां बताना आवश्यक है कि पल्स पोलियो अभियान, विशेष संचारी रोग अभियान सहित सगुन किट के सप्लाई कार्य में भारी खेल किए जाने की चर्चा जोरों से चल रही है। जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को होने के बाद भी संबंधित के विरुद्ध जांच का तनिक भी आंच नही आया। जिससे बेखौफ हो चुके जिम्मेदारों द्वारा मनमानी की जा रही है। पूर्व जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने अनेकों बार सीएमओ कार्यालय पर कार्यवाही करते हुए अवैध पैथालॉजी, नर्सिंग होम पर कार्यवाही के आदेश सीएमओ को दिये थे, परन्तु उनके तबादले के बाद सीएमओ कार्यालय के कर्मचारियों का खेल मीडिया में उजागर होने के बावजूद जिलाधिकारी उज्जवल कुमार द्वारा अपने को मीटिंग और बैठक तक ही सीमित रखना और भ्रष्टाचार के समाचारी पर ध्यान न देेने के कारण एक तरह से भ्रष्टाचार को परोक्ष समर्थन मिल रहा है और वह लगातार फल-फूल रहा है।

प्रकरण पर जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा से बात नहीं हो सकी वहीं शशीकांत बाबू ने बताया कि सारे आरोप निराधार है में दो दिन से सीएमओ कार्यालय गया ही नहीं मैं कोर्ट में था। अभी ज्वाइनिंग लेटर बना ही नहीं तो बांटने का सवाल ही नहीं है। दो-तीन तारीख बाद आदेश बनेगा।

सवाल यहां ये उठ रहा है कि अचानक न्यायालय का ऐसा कौन सा कार्य आ गया जिसके चलते भ्रस्टाचारी बाबू को नियुक्त पत्र वितरण का कार्य अधूरा छोड़कर जाना पड़ गया, और यदि जिलाधिकारी कार्यालय से सीएमओ को निर्देश दिया गया तो सीएमओ ने दूरदराज से आई युवतियों के कार्य को पूर्ण कराने की वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नही की तथा लग रहे आरोपों की जांच कराने की बात क्यों नही की।

पूरा प्रकरण इस बात की गवाही दे रहा है कि फल फूल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल में बाबू शशिकांत सिंह तो मात्र एक मोहरा है इसके तार जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर सीएमओ तथा जिलाधिकारी से भी जुड़े हो सकते हैं !

 

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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