सचेत करने के बाद भी धृतराष्ट्र बना चिकित्सालय प्रशासन
गोंडा। जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को स्वस्थ लाभ के लिए दिया जाने वाला भोजन स्वच्छ साफ नहीं, बल्कि प्रदूषित वा गंदगी से भरा है। और भंडार गृह की व्यवस्था देख रहे भोजन का ठेका लिए ठेकेदार बेखौफ होकर लोगो की जान की परवाह किए बगैर ही भर्ती मरीजों को भोजन का वितरण कर रहे हैं।ऐसे हालात में यदि लोग बीमार होकर अपनी जान गंवा बैठे तो इसकी जिम्मेदारी भी अस्पताल में भोजन बनवा कर वितरण किए जाने वाले ठेकेदार को लेनी होगी।
खास बात तो ये है कि मरीजो के स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर विषय पर समाचार वार्ता पूर्व में भी चिकित्सालय प्रशासन को आगाह कर चुका है लेकिन भ्रस्ट और लापरवाह कार्यशैली के चलते प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका निभाने से बाज़ नही आ रहा।
बुधवार को भारी बारिश के चलते पहले से ही जल जमाव की समस्या से जूझ रहा मरीजों को भोजन उपलब्ध कराने वाला भोजन भंडार गृह लबालब पानी से भर कर तालाब में बदल गया। ज्ञात हो कि इस पानी मे भंडार ग्रह के पास से ही बहने वाले नाले का भी पानी भंडार ग्रह में आता है, इस दशा में भंडार गृह में काम बंद करने के बजाए ठेकेदार ने भारी जलजमाव के बीच ही भोजन बनाने वाले कर्मियों से भोजन बनवाया।
लापरवाही की पराकाष्ठा को लांघते हुए मरीजों की जान की भी परवाह न करते हुए गंदगी से प्रदूषित जल के बीच ही खाना बनाने का कार्य जारी रखा गया। यही भोजन शाम को मरीजों के बीच वितरित भी कर दिया गया। यह स्वास्थ व्यवस्था के विरुद्ध किया गया कार्य है। ऐसे भोजन से सामूहिक रूप से अस्पताल में भर्ती मरीजों को डायरिया के साथ ही अन्य कई संक्रामक बीमारियां हो सकती है लेकिन जिम्मेदारों की ओर से इस संबंध में कोई भी सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए जो कि खुला स्वास्थ नियमावली का उल्लंघन है।
भोजन वितरण कर रहे जिम्मेदारों की ओर से स्वच्छ भोजन नहीं प्रदूषित वा संक्रमित भोजन वितरण किया जा रहा है। जिसके चलते किसी दिन मरीजों के साथ बड़ी सामूहिक दुर्घटना होना लगभग तय है।
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