नईदिल्ली ! चुनावों के दौरान मतदान के दिन विभिन्न दलों की तरफ से समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए जाने वाले विज्ञापनों पर जल्द ही रोक लग सकती है। आखिरी 48 घंटे में प्रचार अभियान से जुड़े निर्वाचन कानून में बदलावों के लिए गठित एक पैनल ने इस बात की सिफारिश की है। चुनाव आयोग (ईसी) ने मंगलवार को सैद्धांतिक तौर पर इस पैनल की सिफारिशों को मंजूरी दे दी, लेकिन एक वरिष्ठ ईसी अधिकारी का मानना है कि लोकसभा चुनावों से पहले इसके लिए संविधान संशोधन की कोई संभावना नहीं है।बता दें कि फिलहाल महज इलेक्ट्रानिक मीडिया पर मतदान से पहले 48 घंटों के दौरान चुनाव प्रचार से जुड़ी सामग्री दिखाने पर रोक है। लेकिन पैनल ने सिफारिश की है कि प्रिंट मीडिया को भी जन प्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 126 के दायरे में लाना चाहिए। हालांकि एक शीर्ष ईसी अधिकारी ने कहा कि इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो संसद के बजट सत्र के दौरान नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि चीजें लोकसभा चुनाव में तो ऐसे ही चलती रहेंगी।
2016 से कोशिश कर रहा चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने 2016 में सरकार से अपील की थी कि निर्वाचन कानून में संशोधन कर मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार अभियान खत्म होने पर अखबारों में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक लगाई जाए। यह अपील अक्तूबर-नवंबर 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग के अपनी सांविधानिक शक्तियों का उपयोग कर कुछ विज्ञापनों पर रोक लगाने के बाद की गई थी।