गोंडा, 8 जनवरी। एलबीएस डिग्री कॉलेज में पुस्तक-लोकार्पण, सम्मान, परिसंवाद एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। पूर्वापर, स्पंदन, लाइसियम और हिंदी विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित पुस्तक-लोकार्पण समारोह में साहित्यकार सूर्यपाल सिंह की ग्रंथावली के दो खंड, यज्ञदेव पाठक गोनर्दीय के ‘कितने तेरे रूप’, प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र कृत ‘ललित निबंध : संवेदना और शिल्प’ और प्रो. जय शंकर तिवारी कृत ‘दो दशकों के बीच’ पुस्तकों का विमोचन किया गया।
पूर्वापर, स्पंदन, लाइसियम द्वारा यज्ञदेव पाठक ‘नीरज’ गोनर्दीय, डॉ. निशा गहलौत, गणेश तिवारी, अरुण प्रकाश पांडेय, वी सी एच एन के श्रीनिवास राव, मुजीब अहमद सिद्दीकी, महराजदीन पांडेय, डॉ. श्री नारायण तिवारी, डॉ. सुभाष राय, आनंदस्वरूप ‘आनंद’, पवन बख़्शी और डॉ. अनिल गौड़ को उत्तरीय एवं मानपत्र को भेंटकर “साहित्य श्री” सम्मान से अलंकृत किया गया।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
‘हम क्यों लिखते हैं’ विषयक परिसंवाद में जनसंदेश टाइम्स के प्रधान संपादक सुभाष राय ने कहा कि अंधेरे के विरुद्ध प्रकाश की स्थापना के लिए लेखक लिखता है। उसे कुछ असंगत लगता है, इसलिए लिखता है। स्वतन्त्रता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय के लिए लिखता है।
संस्कृत लेखक महराजदीन पांडेय ने कहा कि लेखक शिवत्व और लोकमंगल के लिए लिखता है।
गणेश प्रसाद तिवारी ने कहा कि हम लिखते नहीं, कोई ताकत हमसे लिखवा लेती है।
आनंदस्वरूप ने कहा कि सामाजिक ऋण से मुक्त होने के लिए लिखता जाता है, अव्यवस्थाओं के विरुद्ध उसके अंदर एक बेचैनी होती है, जिसे वह अभिव्यक्ति प्रदान करता है।
डॉ. निशा गहलौत ने ‘हम क्यों लिखते हैं’ विषयक परिसंवाद में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लिखने की जरूरत तरह-तरह की अपूर्णताओं को ख़त्म करने की भावना से पैदा होती है।
यज्ञदेव पाठक ‘नीरज’ गोनर्दीय ने कहा कि हमें ज्ञान की अविरल परंपरा का अवबोध प्राप्त करने और उसे नए रूप में प्रस्तुत करने के लिए लिखना होता है। हमारा मुख्य उद्देश्य आत्माभिव्यक्ति है।
डॉ. श्री नारायण तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि संवेदना बनी रहे, हम मनुष्य बने रहें, इसलिए लिखते हैं।
डॉ. अनिल गौड़ ने कहा कि साहित्यकार सामाजिक सरोकारों की प्रतिबद्धता के कारण लिखता है।
मुजीब अहमद सिद्दीकी ने विचार व्यक्त किया कि लेखन का मकसद महक फैलाना है। खुद का भौतिक वजूद मिट जाने पर भी वजूद बनाए रखने के लिए लिखता है। मोहब्बत का प्रसार हो, इसलिए लिखता है।
परिसंवाद का संचालन प्रो. जय शंकर तिवारी ने किया। इस अवसर पर कई जनपदों के गणमान्य लेखक, साहित्यकार सहित सहृदय समाज की उपस्थिति रही।