परसपुर (गोण्डा)। अपनी भ्रस्ट कार्यशैली के लिए कुख्यात जिले के लेखपाल और कानूनगो पर आरोपियों को शह देने और मिलीभगत से पीड़ित की ज़मीन पर कब्ज़ा बनाये रखने का एक और आरोप लग रहा हैं, प्रशासन की लापरवाही से तंग पीड़ित को आमरण अनशन तक के लिए विवश होना पड़ रहा है लेकिन बार बार सूचना और शिकायत के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुल रही है।
प्रकरण जिले के विकासखंड परसपुर के ग्राम पसका का है, जिलाधिकारी कार्यालय के समीप आमरण अनशन पर बैठे जगन्नाथ पुत्र देवसरण ने जिलाधिकारी को प्रेषित शिकायत में बताया है की गांव की ही ज़मीन जो की उसके बाबा पाटन पुत्र गजाधर के नाम दर्ज है, बाबा ने उपरोक्त भूमि की हदबरारी का मुकदमा उपजिलाधिकारी करनेलगंज के न्यायालय में दर्ज किया था जिसमें फैसले के बाद भूमि पर पूरी प्रक्रिया के बाद राजस्व कर्मियों द्वारा पत्थर भी नस्ब करा दिया गया लेकिन भूमि पर अवैध रूप से काबिज कब्ज़ेदारों को नहीं हटाया गया।
पीड़ित जगन्नाथ ने बताया की अवैध कब्ज़ेदार दयाराम, बाबूराम पुत्रगण बद्री तथा जंगबहादुर, राममिलन तथा रामनाथ पुत्रगण रामसेवक की लेखपाल आत्माराम और कानूनगो अम्बिका तिवारी से गहरी साँठगांठ है जिसके चलते कब्ज़ा नहीं हटाया जा रहा है। जगन्नाथ ने जिलाधिकारी से गुहार लगाते हुआ कहा है की राजस्व विभाग की किसी अन्य टीम या फिर किसी सक्षम अधिकारी के माध्यम से तत्काल कब्ज़ा हटवाया जाये।
अपनी पीड़ा को उच्च स्तर तक पहुंचाने और न्याय की आस से जगन्नाथ ने शिकायत को तहसीलदार, एस डी एम, एस पी, आयुक्त, डी आई जी सहित मुख्यमंत्री को भी प्रेषित की हैं।
मामले में चौकाने वाली बात तो ये रही की ज़ब प्रकरण पर लेखपाल आत्माराम से बात की गई तो उन्होंने पूरे मामले का रुख पलटते हुए यह कह दिया की इनकी ज़मीन पर किसी का भी कब्ज़ा नहीं हैं बल्कि ये खुद किसी और की ज़मीन पर कब्ज़ा करना चाहते हैं। फिलहाल अब तो ये जाँच का विषय है की लेखपाल आत्माराम कितना सच बोल रहे हैं और पीड़ित कितना झूठ।