उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

प्रमुख अधीक्षक, प्रिंसिपल के अधिकारों के बीच झूल रही जिले की स्वास्थ व्यवस्था

जिला चिकित्सालय की स्वास्थ सेवाओं में व्याप्त है भारी अव्यवस्था, मरीज परेशान

चार माह से बंद है सीटी स्कैन मशीन, चार ऑक्सीजन प्लांट हुए ठप्प

गोंडा। मंडल का अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। जहां लाखों के जांच उपकरण मशीन एवम केंद्रीय ऑक्सीजन वितरण प्रणाली व्यवस्था ठप्प पड़ी हुई है। जरूरत पड़ने पर ना तो मरीजों को सीटी स्कैन का लाभ मिल पा रहा है और न करोड़ों खर्च करने के बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति प्लांट के द्वारा संभव हो पा रही है। यह बात और है कि मरीजों को ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर के द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।
कहने को तो चिकित्सालय में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है किंतु अस्पताल में भारी अव्यवस्था व्याप्त है।

जिला चिकित्सालय को जब से चिकित्सा सेवा से चिकित्सा शिक्षा में प्रवर्तित किया गया तभी से चिकित्सालय के दुर्दिन शुरू हो गए। प्रिंसिपल के आते ही चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक से जहां वित्तीय अधिकार छिन गया वहीं चिकित्सालय के बजट को रोक दिया गया है। अब मेडिकल कालेज के बजट की राह देखी जा रही है। समस्या की शुरुआत डॉक्टरों के तबादले से शुरू होकर सीटी स्कैन मशीन के खराब होने वा ऑक्सीजन प्लांट के ध्वस्त होने पर आ अटकी है।
इस संबंध में जब पड़ताल शुरू की गई तो पता चला कि माह मार्च के 09 तारीख को सीटी स्कैन मशीन एवम ऑक्सीजन प्लांट को दुरुस्त करने के लिए प्रदेश का ठेका उठाए संस्था “सायरस ” नामक एक कंपनी को सूचना दी गई तब कंपनी के टेक्नीशियन कर्मचारी यहां पहुंचे और उन्होंने भरपूर प्रयास किया किंतु दोनो ही सेवाएं दुरुस्त नहीं हो सकी।इसके बाद सायरस ने सीमेंस फर्म को अपनी जिम्मेदारी पर हायर किया और उनके टेक्नीशन भी आए लेकिन सीटी स्कैन मशीन दुरुस्त नहीं की जा सकी।

चिकित्सालय कर्मचारियों ने नाम न छपने की शर्त पर बताया की जब सायरस के कर्मचारी आए थे तो उन्होंने सीटी स्कैन मशीन के रिम को रगड़ दिया था जिसके कारण मशीन बुरी तरह प्रभावित हुई। सीमेंस के कर्मचारियों ने भी यह बात कही थी कि इसका रिम रगड़ने के कारण खराब हो चुका है। यह बात और भी हैरान करने वाली है कि जिम्मेदार फर्म सायरस को आजतक ऑक्सीजन प्लांट में हुई गड़बडी पकड़ में ही नही आ रही है। जब साउथ की सायरस फर्म के प्रदेश कांट्रेक्टर श्री चंदन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में स्थापित सीटी स्कैन मशीन को अस्पताल के जिम्मेदारों प्रमुख अधीक्षक वा रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर पवन कुमार के अनुरोध पर देखा गया था, लेकिन वह इस मशीन की देखरेख के लिए अनुबंधित नही थे। उन्होंने यह भी बताया कि सीमेंस फर्म जो की मशीन की निर्माता कंपनी है को भी उन्होंने ही अपने खर्च पर हायर किया था उसे बनाने के लिए किंतु कंपनी ने कई उपकरणों की खराबी बताया था जिसमे लगभग 28 लाख 4000 हजार 850 रुपए का अनुमानित खर्च आना था लेकिन प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर पीडी गुप्ता के पास बजट नही था कंपनी नकद राशि की मांग कर रही थी इन्ही कारण प्रमुख अधीक्षक ने अपने हाथ खड़े कर लिए। उन्हें लगा की अब वित्तीय अधिकार उनके हाथ नही है ऐसे में यदि यह भुगतान कर दिया गया और मशीन दुरुस्त न हुई तो वह नए स्कैंडल में घिर जायेंगे।

तबसे लेकर आज तक चिकित्सालय में यह सेवा पूरी तरह बंद है और मरीजों को भारी आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। वही मेडिकल कालेज के निर्माण नोडल अधिकारी डॉक्टर कुलदीप पांडे का कहना है कि इस संबंध में कई बार शासन स्तर पर पत्र लिखे जा चुके हैं ।अब यह समस्या चिकित्सा स्वास्थ से हट कर चिकित्सा शिक्षा की है जिसे बजट के आते ही दुरुस्त कर लिया जाएगा।

जब उनसे यह परशन किया गया कि आखिर संपूर्ण प्रदेश का ठेका लिए सायरस फर्म न तो ऑक्सीजन प्लांट का रखरखाव ही कर पा रही है और न ही उसे दुरुस्त कर पा रही है ऐसे में क्या इस फार्म के कार्य प्रणाली पर सवाल नही उठता कि उसे इसका अनुभव है या नही ? तो उन्होंने जवाब दिया कि आप इस कंपनी से एक लेटर जारी करवा दें कि वह कार्य करने में अक्षम है तो मैं इस समस्या को दो दिनों में समाप्त करवा दूंगा।

उनके इस संबंध में दिए गए उत्तर से एक बात यह सामने निकल कर आई है कि वह भी इस सायरस कंपनी के कार्य प्रणाली से संतुष्ट नही है और ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार के द्वारा अप्रशिक्षित ,अनुभवहीन फर्म को संपूर्ण स्वास्थ विभाग का ठेका दे कर प्रदेश सरकार ने कही कोई बड़ी चूक तो नही कर दी है?

About the author

अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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