उत्तर प्रदेश मनोरंजन लाइफस्टाइल

“आदिपुरुष” संस्कृति पर प्रहार, ब्रह्म राष्ट्रम एकम् ने किया विरोध, बहिष्कार का आह्वान

वाराणसी। ब्रह्मराष्ट्र एकम जो की वैश्विक सनातनी संस्था है आज अपने राष्ट्र और समाज के लिए अपनी सीमा को लांघती फिल्म आदिपुरुष का पुरजोर विरोध करती है जिसमे अत्यंत अमर्यादित शब्दो का प्रयोग, स्तरहीन संवाद, अशोभनीय साज सज्जा से बनाई गई ये फिल्म आदिपुरुष का चरित्र चित्रण है। हमारी आत्मा, हमारी चेतना के केंद्र बिंदु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के नाम पर ये जो अक्षम्य कृत्य आदिपुरुष के निर्देशक ओम रावत और उनके दल ने तथा क्षुद्र संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने किया है, उस पर सेंसर बोर्ड, केन्द्र और राज्य सरकार को कठोर कार्यवाही करनी ही चाहिए। इस फिल्म के अमर्यादित डायलॉग से यदि हमारी युवा पीढ़ी को जो संदेश दे रहे और आप निष्कर्ष निकाले तो उसका क्या दुष्परिणाम होगा हमारी संस्कृति और आस्था पर .. कुछ अंश से आप गौर करें:

० कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की।
० तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया।
० जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे उनकी लंका लगा देंगे।
० आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं।
० मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है।
ये सारे संवाद लेखक मनोज मुंतशिर जी के है इतने महान लेखक ऐसे हैं मनोज मुंतशिर शुक्ला जैसे उथले लोगों के लिए ही मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि;
क्षुद्र नदी भरि चलि उतराई।
जस थोरहूं धन खल बौराई।।
अर्थात: जैसे छोटी नदियाँ थोड़ी सी वर्षा में एकदम भरकर (किनारों को) तोड़ती हुई चलने लगती है।

प्रभु श्रीराम केवल एक ऐतिहासिक पुरूष नहीं हैं वह तो त्याग, समर्पण, प्रेम, मर्यादा के महासागर है हमारे श्रीराम भारत की आत्मा है। उनके ऊपर बनी ये आदिपुरूष जैसी फिल्में हमारे समाज को क्या संदेश देंगी और आश्चर्य की बात है की कोई भी सेंसर बोर्ड का विरोध क्यों नही करता है जो आंखों पर पट्टी बांध कर बैठे है। सरकार क्यों नहीं बैन करती हैं ऐसी फिल्मों को।
इस फिल्म को लेकर हृदय में इतनी पीड़ा है सनातन हिंदू समाज में कि कब तक कोई हमारी धर्म संस्कृति पर कुठाराघात करता रहेगा। आप सक्षम लोगों से कहना चाहता हूं…क्या सभी सक्षम एवं बुद्धिजीवी वर्ग सरकार पर दबाव नहीं बना सकते कि ऐसी फिल्मों को जड़ से ही खत्म किया जा सके ताकि भविष्य की पीढ़ी को कभी भी पवित्र श्री रामचरित मानस और रामायण जैसे महाग्रंथो के विषय में गलत संदेश नहीं जाए। ब्रह्मराष्ट्र एकम परिवार ऐसी फिल्मों का विरोध करता है और अगर ऐसा सरकार ने अपने संज्ञान में उपरोक्त विषयों को गंभीरता से नहीं लिया तो इसे बड़े आंदोलन के रूप में पूरे देश में चलाएंगे।
शिव की पावन नगरी काशी और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से हम आप सभी श्रेष्ठ जनों से बस यह जानना चाहता हूं कि सिर्फ और सिर्फ हमारे सनातन धर्म के लोगों के साथ ही ऐसा क्यों किया जाता जहां ये लिखा हो की यहां पेशाब करना मना है भगवान का चित्र लगा देना, भगवान का कार्टून बनाना और ऐसी अमर्यादित फिल्में बना देना आजकल आस्था के साथ इतना ज्यादा छेड़छाड़ हो रहा है। आप सभी साथियों से अपील करता हूं आप सभी इसका विरोध करें और सोशल मीडिया पर ही नहीं व्यक्तिगत स्तर पर भी करें। जय हिंद जय भारत।

About the author

राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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