‘कथा संवाद’ के विमर्श के केंद्र में रही कथ्य की विविधता
जटिलता के बजाए सहजता को बनाए लेखन का आधार : प्रितपाल कौर
गाजियाबाद। परंपरा और सिद्धांत के दायरे से मुक्त लेखन ही कालजई लेखन को जन्म देता है। ‘कथा रंग’ के ‘कथा संवाद’ को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम अध्यक्ष रवि कुमार सिंह ने कहा कि हर दौर में लेखकों पर अपने परिवेश का दबाव रहता है। लेकिन खास विचारधारा से प्रभावित लेखन न तो अधिक समय तक विमर्श में रहता हैं और न ही इतिहास में जगह बना पाता है। उन्होंने कहा कि रचनाकार को सिद्धांत व परंपरा में बंधने के बजाय मुक्त भाव से लिखना चाहिए। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध लेखिका प्रितपाल कौर ने कहा कि रचनाकारों को जटिलता से बच कर अपने लेखन को सहज बनाना चाहिए।
होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद में श्री सिंह ने कहा कि “कथा संवाद” में सुनी गई कहानियां पूरे समाज का बयान हैं। मौजूदा दौर में साहित्य के साथ जहां विभिन्न प्रयोग हो रहे हैं वहां इस तरह की कार्यशालाएं नए रचनाकारों को गढ़ने के साथ कहन का सलीका भी सिखाती हैं। ऐसे मंचों पर नए रचनाकारों का आना बेहतर भविष्य की ओर संकेत करता है। कथा संवाद की शुरूआत सुप्रसिद्ध सिने अभिनेता रवि यादव की दो कहानियों ‘छोटा आदमी’ और ‘छिपकली देवी’ से हुई। सुप्रसिद्ध आलोचक व व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि रवि यादव की पहली कहानी में कम शब्दों में साहित्यिक मूल्यों का प्रस्तुतिकरण कहानी को पूर्णता की ओर ले जाता है। जबकि ‘छिपकली देवी’ अभी कहानी और व्यंग्य के बीच में विचरण कर रही है। जिसमें विस्तार की संभावनाएं हैं। सुश्री कौर ने कहा कि रवि यादव की सूक्ष्म दृष्टि इस बात का संकेत है कि उनमें भविष्य का बड़ा लेखक बैठा है। रवि कुमार सिंह ने कहा कि ‘छिपकली देवी’ इस बात का सशक्त उदाहरण है कि आडंबर और पाखंड हमारी आस्था से आगे निकल गया है। हम लोग ‘मन चंगा कटौती में गंगा’ जैसी अवधारणाओं से दूर होते जा रहे हैं। वरिष्ठ रचनाकार नेहा वैद की शीर्षक विहीन कहानी पर भी लंबा विमर्श हुआ। संयोजक आलोक यात्री ने कहा कि कहानी में पात्रों के चरित्र के साथ मां की विवशता का भी मुखरता से चित्रण होना चाहिए।
You must be logged in to post a comment.