उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

समय से वेतन भुगतान न मिलने पर डॉक्टर्स कर्मचारियों का फूटा गुस्सा,सेवाएं बंद कर बैठे धरने पर

तीन माह से नहीं मिला वेतन, मेडिकल कालेज प्रधानाचार्य ने दिया निस्तारण का लिखित आश्वासन

गोंडा। मेडिकल कालेज चिकित्सालय में तैनात डॉक्टर्स, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों,संविदा, आऊट सोर्सिंग कर्मचारियों को समय से वेतन भुगतान न मिलने के प्रकरण ने सोमवार को सुबह करीब 10:00 बजे एक नया मोड़ ले लिया।आहत समस्त कर्मचारियों ने पर्चा काउंटर बंद करा दिया। इमरजेंसी सेवा को छोड़कर अन्य सभी सेवाएं बंद कर कर्मचारी मुख्य प्रवेश द्वार पर बने हाल में धरने पर बैठ गए।चिकित्सालय आने वाले मरीजों वा भर्ती मरीजों को अचानक हुए इस घटनाक्रम से भारी असुविधा और परेशानियां उठानी पड़ी। इस बार अचानक धरने पर बैठे कर्मचारियों ने मेडिकल कालेज चिकित्सालय में अंदर ही अंदर चल रहे कई गंभीर मामलों की भी कलई खोल कर रख दी है। जिसका हवाला उनके मांग पत्र में दिया गया है।

क्या है कर्मचारियों की मांग?

कर्मचारियों की मांग है कि, मेडिकल कालेज चिकित्सालय का कार्यालय पूर्वत: की भांति चिकित्सालय से ही संचालित हो। डॉक्टर्स कर्मचारियों का वेतन भुगतान तत्काल किया जाए। जेम पोर्टल का बायर और काउंसिंग नियमानुसार सीनियर अधिकारी या कर्मचारी को ही बनाया जाए। जीपीएफ का भुगतान चिकित्सालय से ही समय से कराया जाए।

एरियर और बोनस का भुगतान किया जाए। एनएचएम और आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन भुगतान पैसा होने के पश्चात भी नही किया गया। ऐसा क्यों और किसके द्वारा किया गया इसके जिम्मेदार के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।इन्ही कर्मचारियों का इंक्रीमेंट लगाने के नाम पर पैसों की वसूली की जाती है इसको बंद करा कर संबंधित के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए।मेडिकल लीव के नाम पर कर्मचारियों का शोषण कर जबरन वसूली की जाती है इसे बंद किया जाए। स्टाफ नर्स वा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ड्यूटी सहायक नर्सिंग के द्वारा लगाई जाए।

अवैध वसूली और जेम पोर्टल पर बनाए गए जिम्मेदारों की अनियमितता उभर कर आई सामने!

मेडिकल कालेज से संबद्ध किए गए जिला चिकित्सालय में हुए फेरबदल के बीच काफी दिनों से कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान मची हुई थी। लेकिन इस बात का पता नही चल पा रहा था कि आखिर इसकी वजह क्या है? सोमवार को दो घंटे तक चले धरना प्रदर्शन के बीच सारे विवाद खुल कर सामने आ गए और काफी दिनों से कर्मचारियों के बीच पल रहा आक्रोश लावा बन कर फुट पड़ा।जिसमे कर्मचारियों का अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा शोषण खुल कर सामने आ गया। जहां एक तरफ मेडिकल लीव के नाम पर वसूली का आरोप कर्मचारी जिम्मेदारों पर लगा रहे हैं वही कर्मचारी इंक्रीमेंट के नाम पर जम कर शोषण किए जाने की भी बात कर रहे हैं। ऊपर बैठे अधिकारियों तक फैला भ्रष्टाचार जेम पोर्टल में की गई अधिकारियों की तैनाती है। जिसे लेकर नियम कायदे अपनाने की मांग कर कर्मचारियों ने इस बात को जाहिर कर दिया की सब कुछ ठीक नही है।

क्या कह रहे हैं जिम्मेदार!

संबद्ध चिकित्सालय में कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉक्टर धनंजय कोटास्थाने ने वार्ता के दौरान बताया कि उन्हें सूचना मिलते ही वे चिकित्सालय पहुंचे और आंदोलित कर्मचारियों से बात कर उनके मांग पत्र के अनुशार समय से उसके निस्तारण के लिए लिखित आश्वासन उनके द्वारा दिया गया है। संभवत: दो दिनों के अंदर ही समस्त कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया जायेगा। जब उनसे कर्मचारियों के मेडिकल लीव, इंक्रीमेंट के लिए की जा रही अवैध वसूली के साथ ही जेम पोर्टल पर नियमानुसार जिम्मेदारों की नियुक्ति की बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में अभी तक किसी कर्मचारी के द्वारा उनसे लिखित शिकयत नही की गई है। फिर भी अब यह प्रकरण संज्ञान में आया है इसके लिए एक जांच समिति बना कर जांच कराई जाएगी। यदि शिकायत सही पाई गई तो दोषी के विरुद्ध कार्यवाही अवश्य की जायेगी। वही जेम पोर्टल पर नियमतः लेबल वन का अधिकारी होना चाहिए लेकिन हमारे पास लेबल थ्री के हैं और एक चीफ फरमासिष्ट होना चाहिए जिसे कम से कम दस वर्षों का अनुभव हो इस संबंध में सभी औपचारिकता पूरी तरह से अपनाई जाए ऐसा कोई नियम नहीं है। इसके पूर्व जिला चिकित्सालय में चार आई डी जेनरेट थी।चूंकि मेडिकल कालेज बन जाने के कारण सभी आई डी बंद कर दी गई है अब शायद इस कारण कुछ लोगों को परेशानी हो रही है। वैसे यह पारदर्शी प्रक्रिया है। जो की शासन की एक अति महत्वाकांक्षी योजना के तहत कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए उपयोग में लाई गई है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता किए जाने का कोई सवाल ही नहीं है। सभी कर्मचारी काम पर वापस आ गए हैं। मंगलवार से चिकित्सालय में पूर्व की भांति कार्य चलता रहेगा। आपका धन्यवाद।

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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