मिल रही पेंशन पर भी लगा लगाम, नहीं कोई पुरसाहाल
गोण्डा। देश के प्रधान सेवक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने के दावों पर उनके ही बनाये नियम और कानून बाधा बनकर खड़े दिखाई दें रहे हैं, इन्ही नियमों के बंधन ने एक साठ वर्षीय नेत्रहीन बुजुर्ग को जहाँ भविष्य में मिलने वाली सुविधाओं से विरक्त कर दिया वहीं मिल रहे एक पेंशन को भी बंद करा दिया, खास बात तो ये है की इस नेत्रहीन बुजुर्ग के दर्द को कोई समझने को भी अब तैयार नहीं है।
अपनी बेबसी के चलते दिल् ही दिल में घुट रहा ये बुजुर्ग जिले के झंझरी विकास खंड के ग्राम लक्ष्मणपुर जाट के पुरवा पजावा निवासी रामचंदर है, बुजुर्ग पूरी तरह नेत्रहीन हैं, शनिवार को ज़ब समाचार वार्ता की टीम बुजुर्ग का हाल और परेशानियों को समझने उनके फूस के बने आवास पर पहुंची तो नेत्रहीनता और बड़ी उम्र के बाद भी रामचंदर अपनी कुटिया की मरम्मत करते नज़र आये।
बातचीत के दौरान बुजुर्ग रामचंदर ने बताया की उनको पिछले कुछ वर्षों से मिल रही नेत्रहीन पेंशन बंद हो गई, कारण पूछने पर उन्होंने बताया की आधार नहीं बन रहा, आधार क्यों नहीं बन रहा के प्रश्न पर उन्होंने अपनी नेत्रहीनता को कारण बताया। उन्होंने ये भी कहा की उनका अंगूठा भी नहीं लग रहा जिस कारण आधार नहीं बन रहा और उसी के चलते मिल रही पेंशन तो बंद ही हो गई और इसी के साथ शासन से मिलने वाली अन्य किसी भी सुविधा के मिलने की आस भी समाप्त हो गई।
बेहद गरीबी में जीवनयापन करने वाले नेत्रहीन बुजुर्ग रामचंदर के लिए मिलने वाली पेंशन के चंद रुपयों का मूल्य कितना था ये उनके अतिरिक्त शायद ही कोई और समझ पाए और जिसके बिना उनका जीवन कितना दुरूह हो गया है इसका अंदाजा वही लगा सकते हैं।
आशा है समाचार प्रकाशन के बाद निरीह रामचंदर की समस्या को शासन प्रशासन समझने का प्रयास करते हुए उनकी बंद हुई पेंशन को बहाल करने तथा उनके आधार निर्माण के लिए कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा।