एमसीबीयू में भूजल सरंक्षण पर प्रशिक्षण का हुआ आयोजन
छतरपुर (मध्यप्रदेश)। भूजल सीमित मात्रा में पाया जाता है, सतही जल वर्षा से प्राप्त होता है। वर्षा जल को व्यर्थ न बहाकर उसे भू-सतह के नीचे ले जाने के लिए विभिन्न संरचनाओं का निर्माण विषय विशेषज्ञों की सलाह से करना चाहिए। जिससे भूजल की मात्रा बढ़ाई जा सके। भूजल के संवर्धन के उपाय करना आज की आवश्यकताओं को देखते हुए आवश्यक है।ये उदगार प्रो. पी.के. जैन विभागाध्यक्ष भूगर्भशास्त्र अध्ययनशाला एवं शोधकेन्द्र, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के सरस्वती सभागार में केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड मध्य क्षेत्र भोपाल द्वारा आयोजित एक दिवसीय तृतीय स्तरीय प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये।
कार्यक्रम का शुभांरभ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से किया गया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णा शुक्ला रही, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य क्षेत्र, भोपाल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ए.के. विस्वाल ने की। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण में 113 विद्यार्थियों तथा 12 फेक्ल्टी सदस्यों ने सहभागिता की। उद्घाटन सत्र में बार भूजल वैज्ञानिक लता उदसैंया ने छतरपुर जिले के भूजल विज्ञान तथा उसकी समस्याओं के बारे में पी.पी.टी. के माध्यम से सरल भाषा में हिन्दी माध्यम में समझाया। इसके बाद जल की आवश्यकता पर एक पैनल डिस्क्सन हुआ, जिसमें दस प्रतिभागियों ने भाग लेकर विशेषज्ञों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब सटीक रूप से दिये। द्वितीय पैनल डिस्क्सन छतरपुर जिले में स्थित चन्देल कालीन तालाबों के पुर्नउद्धार एवं सुधार पर वैज्ञानिक चितरंजन विस्वाल ने आयोजित करवाकर दस प्रतिभागियों से प्रश्न पूछें जिनके सटीक जवाब प्रतिभागियों ने दिये।
अगले सत्र में जलसखी के ऊपर पैनल डिस्कसन वैज्ञानिक अनाखा अजय द्वारा करवाया गया जिसमें फैकल्टी सदस्यों तथा विद्यार्थियों ने भाग लिया। छतरपुर जिले के जल समस्याग्रस्त गांवों की महिलाओं को जागरुकता कर उन्हे जल सरंक्षण का प्रशिक्षण देकर जल संरक्षण के कार्यों में उनकी सहभागिता के प्रयास किये जा रहे है। इन महिलाओं को जलसखी नाम दिया गया है। समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. पी.के. जैन ने छतरपुर के तालाबों की सरंचना तथा उनके पुर्नउद्धार के प्रयास किये जाने की मांग रखी। अध्यक्षीय उद्बोधन में मध्य क्षेत्र के निदेशक डॉ. विस्वाल ने सभी सहभागियों से जल सरंक्षण के प्रयास अपने-अपने रहवासी क्षेत्रों में करने की अपील की। प्रो. पी. के. जैन द्वारा मध्य क्षेत्रीय कार्यालय केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड, भोपाल तथा महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड वि.वि. छतरपुर के मध्य एक एम.ओ.यू. करने का प्रस्ताव रखा जिसे क्षेत्रीय निदेशक ने अपनी ओर से प्रयास करने का आश्वासन दिया। प्रो. पी. के. जैन ने बताया किय इस संस्था से एम.ओ.यू. होने पर भूगर्भशास्त्र अध्ययनशाला के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण इन्टर्नशिप शोध संबंधी कार्य की सुविधा मध्य क्षेत्रीय कार्यालय से मिल सकेगी तथा केन्द्रीय भूजल बोर्ड के वैज्ञानिक भी इस विश्वविद्यालय से अपना शोध कार्य कर सकेगें। कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिक चितरंजन विस्वाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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