बैंकों में आजकल अप्रेंटिस की भर्ती करने का जोर है। स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, यूको बैंक और जम्मू एण्ड काश्मीर बैंक ने अप्रेंटिस की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया है। हर बैंक 2500 से 3000 तक अप्रेंटिस की भर्ती कर रहे हैं। इनको एक वर्ष के लिए रखा जाएगा और 10000 से 15000 हजार भत्ते के रूप में दिया जायेगा। इसके लिए लिखित परीक्षा से लेकर इंटरव्यू भी होगा। यानि जिस प्रकार से स्थाई कर्मचारियों की भर्ती होती है उसी आधार पर इनकी भी भर्ती को किया जाएगा। बैंक स्थायी कर्मचारियों की भर्ती न करके इन अप्रेंटिस से काम करवाना चाहता है जो कि घातक हो सकता है। यदि बैंक अधिकतर अप्रेंटिस को ही काम पर रखता है, तो स्थायी कर्मचारियों की भर्तियों में कमी आ सकती है, जिससे रोजगार की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
अप्रेंटिस को आवश्यक अनुभव और कौशल की कमी हो सकती है, जिससे जहां एक ओर बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, वहीँ बैंक के डाटा की सुरक्षा को भी नुक्सान हो सकता है । बैंकों में ग्राहकों के डाटा की जिम्मेवारी बैंक की है और एक अप्रेंटिस, जो कि सिर्फ एक वर्ष के लिए बैंक में आएगा, पर भरोसा नहीं किया जा सकता ।
समय समय पर बैंको में जो धोखाधड़ी की घटनाएँ सामने आती हैं उनमें अधिकतर अस्थाई कर्मचारियों का हाथ होता है। ऐसे में अप्रेंटिस के रूप में बैंकों में भर्ती से जहाँ एक और स्थाई भर्ती में कमी आएगी वहीँ धोखाधड़ी की घटनाएँ भी बढ़ सकती हैं।
जहां एक ओर बैंकों की सुरक्षा और स्थाई भर्ती का मामला है, वहीँ इन अप्रेंटिस से जुड़े मुद्दे भी हैं। यदि इस दौरान ये ओवरऐज हो जाते हैं तो इनको आगे नोकरी मिलने में मुश्किल होगी। दूसरा बैंक ट्रेनिंग के बाद इनको स्थाई नौकरी नहीं देने वाले जो की इस योजना का नकारात्मक पक्ष है।
वॉयस ऑफ़ बैंकिंग की मांग है कि वित् मंत्रालय को तुरंत प्रभाव से इस अप्रेंटिस योजना की भर्ती पर रोक लगानी चाहिए और पर्याप्त संख्या में स्थाई कर्मचारियों की भर्ती करनी चाहिए।
अशवनी राणा
फॉउंडर
वॉयस ऑफ बैंकिंग