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सुरक्षा गार्डो के साथ हुई ठगी, लाखों की भेंट चढ़ाने के बाद भी हुए बेरोजगार, स्वास्थ्य विभाग ने झाड़ा पल्ला

सीएमओ से मिले गार्डों के प्रतिनिधि,पूर्व सैनिकों की तैनाती तक ड्यूटी पर बने रहने का मिला कोरा आश्वासन 

मिशन निदेशक के आदेश पर निष्कासित किए गए गार्डों ने किया कार्य बहिष्कार

मेडिकल कालेज चिकित्सालय परिसर में दिनभर मची रही अफरा-तफरी

गोंडा। मिशन निदेशक के निर्देश पर वर्ष 2024/25 के लिए सीएमओ के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल कालेज चिकित्सालय में मेसर्स मयंक सिक्योरिटी सर्विसेज के जरिए जेम पोर्टल के माध्यम से भर्ती किए गए 24 सुरक्षा गार्डों की भर्ती निरस्त किए जाने के संबंध में सोमवार को भर्ती किए गए 67 सुरक्षा गार्डों ने कार्य बहिष्कार कर सीएमओ कार्यालय पर अपनी परेशानियों से उन्हें अवगत कराया। आपसी विचार विमर्श से दो लोग सीएमओ से बात करने गए। जहां सीएमओ ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया को मिशन निदेशक के द्वारा निरस्त कर दिया गया है। जिन सुरक्षा गार्डों का 11 माह का कार्यकाल पूरा हो चुका है उनकी सेवा समाप्ति के लिए फर्म को निर्देशित किया गया है। नवीन आदेश के क्रम में मेडिकल कालेज में पूर्व सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है। संबंधित फर्म से उपलब्ध मानव संसाधन एवम वित्तीय संसाधनों को लेकर विचार विमर्श जारी है। सरकार के निर्देशानुसार निर्धारित गार्डों की संख्या एवम वेतनमान को लेकर अभी फर्म के द्वारा कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती मेडिकल कलेज चिकित्सालय में कार्यरत गार्ड अपनी जगह बने रहेंगे।

गार्डों के बहिष्कार से चिकित्सालय में दिखी अफरा तफरी

मेडिकल कालेज चिकित्सालय में तैनात सुरक्षा कर्मियों के साथ ही जनपद में अन्य जगहों पर स्वास्थ्य विभाग में तैनात सुरक्षा कर्मियों का जमावड़ा सुबह करीब 09:30 से ही कोविड बिल्डिंग स्थिति हाल में लगने लगा था। करीब दस बजे समस्त गार्ड एकत्रित हो सीएमओ कार्यालय पहुंचे। इस दौरान गार्डों के कार्य बहिष्कार से चिकित्सालय परिसर में दिनभर जाम की स्थिति बनी रही। लोग अपने वाहनों को इधर उधर खड़ा कर चले गए जिससे चारों ओर अफरा तफरी फैली
रही।

सुरक्षा गार्ड अभी भी है मुख्य समस्या से अनजान

किसी समस्या के हल के लिए उस समस्या के बारे में जानना अधिक जरूरी होता है। लेकिन मेसर्स मयंक सिक्योरिटी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा भर्ती किए गए गार्डों को अपनी समस्या के बारे में अभी भी ठीक से पता नही है कि आखिर वे क्या करें।

गौरतलब है कि इस भर्ती प्रक्रिया में मिशन निदेशक के द्वारा जारी किए गए निर्देश में स्पष्ट रूप से पूर्व सैनिकों की भर्ती किए जाने का ही निर्देश दिया गया था, लेकिन रोज बन और बिगड़ रही फर्मों का यह खेल निराला है।पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के अंदर फर्जी फर्मों के द्वारा रजिस्ट्रेशन करा कर जेम्स पोर्टल पर उन्हें रजिस्टर्ड कर दिया जाता है। बाद में यही फर्म सेवा प्रदाता बन विभागीय सांठ गांठ के द्वारा मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाने का ठेका प्राप्त कर रहे हैं। इसके बाद बेरोजगार नौजवानों से नौकरी दिलाए जाने के नाम पर विभागीय मिलीभगत के द्वारा लाखों की घूस लेने के बाद इन्हें संविदा पर नौकरी में रख लिया जाता है। टर्म पूरा होने पर इन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता। वहीं यही फर्म पुनः नए नाम और पते के साथ फिर से नए कर्मचारियों से भर्ती के नाम पर लूट के लिए तैयार हो जाती है। कुछ इस तरह का खेल इन सुरक्षा गार्डों के साथ भर्ती प्रक्रिया के दौरान भी हुआ। नौकरी के नाम पर बेरोजगार युवकों से लाखो रुपए वसूले गए और कहा गया कि उन्हें तीन वर्षों के लिए नौकरी पर रखा गया है। जो भी पैसा लग रहा है वह समय के साथ वेतन के द्वारा वसूल हो जायेगा। इस तरह लोग इनके झांसे में फंस गए। सुरक्षा गार्डों की यह भर्ती स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे ही पल रहे गंभीर भ्रष्टाचार के पोषक के रूप में नजर आ रही है। शीघ्र ही इस भर्ती प्रक्रिया में हुए दिशा निर्देशों के उल्लंघन और घोटाले की पोल खुलती नजर आयेगी। समय से पहले ही नौकरी गंवाने का दंश झेलने वाले सुरक्षा गार्ड जल्द ही इसकी पोल खोलेंगे।

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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