पहली बार प्राइवेट सेक्टर के नौ विशेषज्ञों के केंद्र सरकार में नौकरशाह बनना तय हो गया है। इन 9 पेशेवरों को केंद्रीय विभागों में संयुक्त सचिव के तौर पर चुनने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। आमतौर पर संयुक्त सचिव के पद पर यूपीएससी द्वारा तीन चरण वाली कठिन प्रक्रिया के बाद नियुक्ति की जाती है। लेकिन सरकारी कामों में प्रोफेशनल रवैया लाने के लिए कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये संयुक्त सचिव स्तर के पद पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ पेशेवरों के आवेदन मांगे थे।
मोदी सरकार के इस महत्वाकांक्षी कदम का मकसद नौकरशाही में नई प्रतिभाओं को लाना था। यह पद राजस्व, वित्तीय सेवाओं, आर्थिक मामलों, कृषि व किसान कल्याण, सड़क, परिवहन व राजमार्ग, नागरिक उड्डयन और वाणिज्य विभाग में थे। इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जुलाई, 2018 थी। सरकार के विज्ञापन के बाद कुल 6,077 आवेदन प्राप्त हुए थे। पिछले साल दिसंबर में उम्मीदवारों के चयन की जिम्मेदारी सरकार ने यूपीएससी को सौंपी थी, जिसके बाद नौ उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की गई है।
इनमें अमर दुबे (नागरिक उड्डन), अरुण गोयल (वाणिज्य), राजीव सक्सेना (आर्थिक मामले), सुजीत कुमार बाजपेयी (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन), सौरभ मिश्रा (वित्तीय सेवाओं) और दिनेश दयानंद जगदाले (नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा), सुमन प्रसाद सिंह (सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय), भूषण कुमार (जहाजरानी) और कोकोली घोष (कृषि व किसान कल्याण) का चयन किया गया है। यूपीएससी ने शुक्रवार को कहा कि राजस्व विभाग में चयनित उम्मीदवारों को अनुबंध आधार (लेटरल एंट्री) पर भर्ती किया जाएगा।
कुल 6,077 आवेदनों में से 89 को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए विस्तृत आवेदन फॉर्म भरने के लिए कहा गया था। सरकारी थिंक टैंक नीति अयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि यह जरूरी था कि निश्चित अवधि के लिए अनुबंध पर लेटरल एंट्री के जरिए विशेषज्ञों को सिस्टम में शामिल किया जाए