पुलिस फोर्स न मिलने का दिया जा रहा बहाना, जानकारी देने में की जा रही आनाकानी
गोण्डा। अवैध कब्जों को किस तरह सरकारी विभाग और उनके अधिकारी संरक्षण देतें है साथ ही इस बात का भी पूरा प्रयास करते है कि बात बाहर न जाये और कब्जेदारों का सहयोग हर सम्भव किया जाता रहे इसकी बानगी देखनी हो तो आवास विकास के अधिकारियों से मुलाकात कीजिये।

जी हां हम बात कर रहे है आवास विकास परिषद ओैर उसके मुखिया अधिशासी आभियंता की जिन्हें नगर में स्थित एक अवैध निर्मित होटल को घ्वस्त करने का आदेश चार वर्ष पूर्व दिया गया था, आदेश प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर को भी दिया गया था कि आवास विकास परिषद द्वारा पुलिस बल मांगे जाने पर नियमानुसार बल उपलब्ध कराया जाये।

मामला पिछले समय में राजनीति के क्षेत्र में प्रभावी दखल रखने वाले एक होटल मालिक का है, आरोप है कि होटल मालिक ने नियमों के ताक पर रखते हुए होटल का निर्माण करा दिया जिसकी शिकायत होने पर सम्पूर्ण जांच के बाद होटल को घ्वस्त करने का आदेश आवास विकास परिषद को दिया गया लेकिन विभिन्न बहाने बनाकर अवास विकास परिषद के जिम्म्ेदार कार्यवाही से बचते रहे। यही नही अधिकारियों की अवैध कब्जेदारों से मिली भगत भी सामने आ रही है जिसका प्रमाण बुधवार को उस समय सामने आया जब समाचार वार्ता की टीम आवास विकास द्वारा इस विषय पर अब तक की गयी कार्यवाई की जानकारी करने उनके आफिस पहुंची।

कार्यालय पहुचंने पर वहां मौजूद ज्यादातर कमरो के दरवाजे बन्द पाये गये, जानकारी करने पर वहां के एक चपरासी ने बताया कि अधिशासी अभिंयता कार्यालय मे नही है कहीं बाहर गये हुए है। जब उन्हीं बन्द कमरों में से एक का दरवाजा खोलकर अन्दर पहुचां गया और वहां मौजूद कर्मचारियों से बात की गयी तो पता चला कि अधिशासी अभियंता वही बैठे हैं जिससे साफ हो गया कि उन्होनें ही चपरासी को यह कहने का कहा है कि साहब कार्यालय मे नहीं है। फिलहाल बात करने पर पता उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें पुलिस बल उपलब्ध नही कराया जा रहा है जिसके कारण होटल घ्वस्तीकरण के आदेश का अनुपालन नही हो पा रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या विगत चार वर्र्षाे से उन्हें पुलिस बल नही मिल पा रहा है या फिर उनके द्वारा इस विषय पर कोई प्रयास ही नही किया जा रहा और होटल मालिक के साथ मिलीभगत कर गैरकानूनी कृत्यों मे ंअपराधियों का साथ दिया जा रहा है।
