बजट 2019 – ऊर्जा क्षेत्र में घाटा कम करने और बिजली की दरें घटाने हेतु कोई योजना न घोषित किये जाने से निराशा : एक राष्ट्र एक ग्रिड की सफलता के लिए पहले राज्यों के बिजली निगमों का एकीकरण जरूरी :आय कर में कोई छूट न देने व रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण से कर्मचारी वर्ग में गुस्सा
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने ऊर्जा क्षेत्र में घाटा कम करने और बिजली की दरें घटाने हेतु कोई ठोस योजना न घोषित किये जाने के कारण बजट 2019को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि एक राष्ट्र एक ग्रिड बहुत अच्छा संकल्प है किन्तु इसकी सफलता के लिए तकनीकी और प्रशासनिक दोनों ही दृष्टि से सबसे पहले राज्यों में केवल एक बिजली निगम होना आवश्यक है | बजट में आय कर में कोई छूट न देने व रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण से कर्मचारी वर्ग में गुस्सा है |
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वित्त मन्त्री द्वारा एक राष्ट्र एक ग्रिड का उल्लेख सचमुच बहुत सुखद है और इसी परिकल्पना से एक राष्ट्र एक ग्रिड के साथ एक टैरिफ का लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है | किन्तु यह सब सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले राज्यों में केवल एक बिजली निगम होना आवश्यक है जो बिजली कंपनियों के एकीकरण के बिना सम्भव नहीं है | एक ही राज्य में कई निगमों का आपस में ही सामंजस्य नहीं हो पा रहा है तो कंपनियों को एक किये बिना एक राष्ट्र एक ग्रिड की बात बेमानी है | वित्त मन्त्री ने इस दिशा में कोई उल्लेख नहीं किया जिससे निराशा हुई|
वित्त मन्त्री द्वारा उदय योजना की सफलता की चर्चा पर प्रश्न चिन्ह खड़े करते हुए फेडरेशन ने कहा कि उदय योजना का हश्र भी पिछली योजनाओं जैसा ही रहा है |आज बिजली कंपनियों की देनदारियां उदय योजना लागू होने के पहले जैसी स्थिति में पुनः पहुँच गई हैं | सितम्बर2015 में उदय योजना लागू करते समय बिजली कंपनियों की कुल देनदारियां 02.60लाख करोड़ रु थीं जो मार्च2019 में पुनः 02.28 लाख करोड़ रु हो गई हैं और मार्च2020 तक उदय पूर्व से भी अधिक हो जाएंगी | उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों के बढ़ रहे घाटे को कम करने की बजट में कोई योजना नहीं है जिससे उपभोक्ताओं को किफायती बिजली मिल सके | घाटे के लिए जिम्मेदार मुख्य रूप से सरकार की गलत नीतियां हैं जिनमे बदलाव जरूरी है |
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि नीति आयोग की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष2018 – 19 के पहले आठ महीनों में राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर केवल सरकारी विभागों का 41386करोड रु का बिजली बिल का बकाया है जबकि बिजली वितरण कंपनियों की इसी अवधि की देनदारियां मात्र22061 करोड़ रु हैं | स्पष्ट है बढ़ती देनदारियों और घाटे की जिम्मेदारी सरकार की है किन्तु इस बाबत बजट में कुछ भी उल्लेख न होना अत्यंत निराशाजनक है |
फेडरेशन ने पी पी पी के नाम पर रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण पर चिंता प्रकट करते हुए इसे जनविरोधी करार दिया है | कारपोरेट जगत के लिए टैक्स में 250करोड़ रु से बढ़ाकर 400करोड़ रु तक वालों के लिए 25 % टैक्स का लाभ देने जिससे 99.3 %कंपनियों को लाभ मिलेगा और आम वर्किंग क्लास के लिए टैक्स में कोई राहत न देने पर फेडरेशन ने रोष व्यक्त किया है |
शैलेन्द्र दुबे
चेयरमैन
09415006225
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