सुरेन राव ने रणवीर सिंह को लिखा ओपन पत्र
रणवीर सिंह आपको चीनी मोबाइल फोन का प्रचार क्यों नहीं करना चाहिए
रणवीर सिंह आजकल एक चीनी मोबाइल फोन का प्रचार करते हुए टीवी और मीडिया में छाये हुए हैं। विज्ञापन उनके विचित्र डांस मूव्स को बहुत लुभावने तरीके से पेश करता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह विज्ञापन लोगों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है।
भारत में चीनी मोबाइल फोनों की बिक्री आसमान छू रही है जबकि कई देसी मोबाइल फोन ब्रांड्स अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। अनेक दूसरे चीनी उत्पाद आज भारतीय उत्पादों को पीछे धकेल कर चुके हैं। चीनी उत्पादों के पीछे छिपे एक घिनोने सच का हम आज करेंगे खुलासा।
फालुन दाफा एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुरेन राव ने रणवीर सिंह के नाम एक “ओपन लैटर” लिखा है जिसमे उन्होंने रणवीर सिंह को चीन के मानवाधिकार मामलों का हवाला देते हुए उन्हें चीनी उत्पादों के प्रचार से दूरी बनाने की सलाह दी है।
आप को बता दें कि फालुन दाफा (फालुन गोंग) मन और शरीर का एक साधना अभ्यास है जिसकी शुरुआत चीन में 1992 में ली होंगज़ी द्वारा की गयी। फालुन दाफा की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसका बढ़ता जनाधार चीनी कम्युनिस्ट शासकों को खलने लगा और 1999 में चीनी में इस पर पाबंदी लगा दी। आज फालुन दाफा भारत सहित विश्व के 114 से अधिक देशों में लोकप्रिय है जबकि चीन में इसका बर्बर दमन किया जा रहा है। फालुन दाफा पर अधिक जानकारी के लिए देखें: www.falundafa.org, www.faluninfo.net
सुरेन राव अपने ओपन लैटर में कहते हैं कि चीन भर में हजारों “लेबर कैंप” हैं जहाँ लाखों आध्यात्मिक और राजनैतिक समर्थक कैद हैं। इन कैदियों का शोषण कर उनसे मुफ्त खिलोने, कपड़े, मूर्तियाँ और अन्य उत्पाद बनवाये जाते हैं। यही कारण है कि ये इतने सस्ते होते हैं। इसमें से बहुत से सस्ते सामान की खपत भारत में भी होती है। याद रखें, हर बार जब आप “मेड इन चाइना” उत्पाद खरीदते हैं, तो आप एक क्रूर शासन को समृद्ध और सशक्त बना रहे हैं।
पिछले साल दिवाली के दौरान चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक अभियान चलाया गया। विडंबनापूर्ण यह है कि एक लोकप्रिय चीनी मोबाइल फोन निर्माता ने भारत में उसी दौरान 18 दिनों में दस लाख स्मार्ट फोन बेचे।
सुरेन राव आगे बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग प्रत्यारोपण के लिए पर्यटन केंद्र के रूप में उभरा है। हजारों लोग वहां अंग प्रत्यारोपण के लिए जाते हैं। किन्तु उन्हें यह जानकारी नहीं है कि ये अंग कहाँ से आते हैं। पिछले 15 वर्षों से चीन में सालाना 10,000 से अधिक अंग प्रत्यारोपण हुए हैं। चीन में अंग दान में देने की प्रथा नहीं है। तो ये अंग कहाँ से आते हैं?
यह अविश्वसनीय लगता है, किन्तु चीन में अंगों के प्रत्यारोपण के लिए अंग न केवल मृत्युदण्ड प्राप्त कैदियों से आते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में कैद निर्दोष “फालुन गोंग” अभ्यासियों से आते हैं। चीन में मानवीय अंग प्रत्यारोपण के इस अपराध में बड़े पैमाने पर अवैध धन कमाया जा रहा है। स्वतंत्र जाँच द्वारा यह प्रकाश में आया है कि चीनी शासन, सरकारी अस्पतालों की मिलीभगत से, कैदियों के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण के अपराध में संग्लित है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए देखें: www.endtransplantabuse.org
फालुन दाफा को भारत में सन 2000 से सिखाना आरम्भ किया गया। तब से, देश भर के अनेकों स्कूल और कॉलेजों में इस ध्यान अभ्यास को सिखाया गया है। कई बड़े संगठनों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों लिए फालुन दाफा की कार्यशालाएं आयोजित की हैं. मुंबई के अनेक फैशन मॉडल्स भी अपने भागदौड़ भरे जीवन में स्थिरता और तनावमुक्ति के लिए फालुन दाफा को अपना रहे हैं।
पिछले कुछ समय से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। भारत पर दबाव बनाने के लिये चीन मसूद अजहर समर्थन, अरुणाचल प्रदेश, डोकलाम विवाद आदि का इस्तेमाल करता रहा है। किंतु चीन स्वयं आज एक दोराहे पर खड़ा है। एक ओर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी है जिसका इतिहास झूठ, छल और धोखाधड़ी का रहा है। दूसरी ओर वहां लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की आवाजें उठ रही हैं। भले ही चीन आज एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है किंतु उसके नागरिक स्वतंत्र नहीं हैं।
सुरेन राव कहते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की धारणाएं और नीतियां उन सभी चीजों का खंडन करती हैं जिनका भारत जैसी एक प्राचीन संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधित्व करता है। भारत के पास चीन को सिखाने के लिये बहुत कुछ है। भारत को चीन में हो रहे मानवाधिकार हनन की निंदा करनी चाहिए। भारत को चीन में अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण समाप्त करने के लिए एक निर्णायक भूमिका निभाने की जरूरत है। यही सोच भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिला सकती है। हम भारत को मानवता के पक्ष का समर्थन करने और इतिहास के सही पक्ष में खड़ा होते देखने के लिए उत्सुक हैं।
नि:संदेह रणवीर तथा दूसरे फ़िल्मी सितारों को, जो चीनी उत्पादों का प्रचार करते हैं, को सोचना होगा कि वे भारतीय युवाओं के आगे कैसा रोल मॉडल बनना चाहते हैं और वे मानवता के किस पक्ष में खड़े हैं।