दूर दूर से दर्शन करने आते हैं भक्त
गोंडा ! मसकनवा गौराचौकी चौकी मार्ग पर कस्बे के बीचों बीच बाजार में प्राचीन नई देवी माता का मंदिर भक्तों के आस्था का केंद्र है। यहां मां के पिंडी स्वरूप का दर्शन होता है। माता के दरबार में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगी रही है। नवरात्रि में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं मंदिर में मैया का माथा टेकने आते हैं।यहां की मान्यता है जो कुछ भी नई देवी माता पिंडी के सामने आस्था से शीश झुकाता है। उसकी सारी मन्नते पूरी होती है।
क्या कहते हैं बुजुर्ग :
मैया के दरबार में आस्था रखने वाले बुजुर्गो 95 वर्षीय विद्यावती देवी पत्नी स्वर्गीय शोभाराम बताती हैं कि जब से मैं मसकनवां रानी जोत में आई हूं तब से यहां माता नई देवी माता का पिंडी स्थित है। मैया का आशीर्वाद सभी को बराबर मिलता रहता है। उन्होंने बताया कि मां की पिंडी सैकड़ों साल पुरानी है। माई के दरबार में आता है सबकी मुरादें पूरी होती
मसकनवा के इतिहास के पूर्व प्रवक्ता मास्टर जानकी प्रसाद गुप्त और उनकी पत्नी श्रीमती सुधा गुप्ता बताते हैं कि नई देवी माता का मंदिर प्राचीन है। बहुत ही पवित्र स्थान है। माता के मंदिर जो भी आता है उसकी मुरादें पूरी होती है।
इस जगह पर बहुत बुजुर्गों से पूछा गया लेकिन सभी ने यही बताया की पिंडी की उत्पत्ति कब हुई यह पता नहीं है लेकिन यह पता लगा कि 1947 में हुआ था मंदिर का स्थायी निर्माण :
सैकड़ों वर्ष पुरानी पिंडी स्वरूप माता का स्थान था। 1947 मसकनवा के संभ्रांत व्यापारी माता प्रसाद साहू ने मंदिर का निर्माण कराया था।
जो जर्जर हो गया था।25 मार्च 2018 में मनकापुर स्टेट पूर्व कृषि मंत्री राजा आनंद सिंह ने अपने कर कमलों से मंदिर का जीर्णोद्धार की नीव रखी थी। उसके बाद बाजार वासियों ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया।
नेपाल से आते थे श्रध्दालु:
मंदिर के ठीक सामने नीम का पुराना पेड़ है। कुछ बुजुर्ग बताते हैं। बीस साल पहले तक नेपाल इटवा और डुमरियांगंज के रास्ते से अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु अयोध्या जाते समय यहां पर विश्राम करते थे। नई देवी माता के पिंडी का दर्शन करके ही अयोध्या जाते थे। आज भी मैया का दर्शन करने के भक्तों की भीड़ लगी रही है।
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