उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

विवाद समाप्त, हसेरन में ही बनेगा नवसृजित तहसील भवन, लिपिक की भूल ने खड़ा कर दिया था विवाद

Written by Reena Tripathi

कन्नौज। नवसृजित तहसील हसेरन में अनावासीय /आवासीय भूमि से सम्बंधित प्रस्ताव तत्काल प्रस्तुत किया जाये । भूमि का चिन्हिकरण नियमानुसार किया जाये ।

यह निर्देश जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार के निर्देशानुसार अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) उमेश चन्द्र उपाध्याय ने दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नवसृजित तहसील के काम-काज हेतु
अनावासीय भवनों के निर्माण के लिये 3.50 एकड़ तथा आवासीय भवनों के निर्माण हेतु 1.50 एकड़ भूमि का चयन करते हुये र्निविवादित भूमि का विवरण, खतौनी, नजरी नक्शा क्षेत्रफल सहित जो अभिलेखों में राजस्व विभाग के नाम दर्ज हो, का विवरण तत्काल उपलब्ध करायें।

अपर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि हसरेन से 01 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में आने वाले ग्राम हुसैननगर, वरौली, गहापुरा, एवं वनगवां, आदि ग्राम सभाओं मे हसेरन तहसील का मुख्यालय हसेरन में अथवा 1 किलोमीटर की परिधि में बनाये जाने हेतु उपयुक्त भूमि का प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराया जाय।

इसी बीच हसेरन से प्राप्त सूचना के मुताबिक तिर्वा के तहसीलदार विशेश्वर सिंह आज स्थानीय लेखपाल गया सिंह के साथ हसेरन की ग्राम सभा बनगवां के ग्राम परसूपुरवा और हुसेन नगर में बंजर भूमि का निरीक्षण किया। यहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। जिलाधिकारी कल इस भूमि का निरीक्षण कर इसे अंतिम रूप देंगे और प्रस्ताव राजस्व परिषद को भेज दिया जाएगा।

दरअसल संबंधित लिपिक की एक मामूली सी गलती ने क्षेत्र में एक नए विवाद को जन्म दे दिया उसने भूमि का प्रस्ताव तिर्वा तहसील को भेजने की वजाय तिर्वा और छिबरामऊ दोनो जगह भेज दिया। छिबरामऊ ने रूर ग्राम में भूमि का चिन्ही करण कर दिया जिस सड़ क्षेत्रीय अधिवक्ता बेवजह आंदोलित हो उठे और स्थानीय सांसद को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।रूर हसेरन से 15 किलोमीटर दूर है।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन विधायक योगेंद्र सिंह के अनुरोध पर तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2001 में हसेरन तहसील बनाने की घोषणा की थी किन्तु ये अमली जामा नही पहन सकी। वर्ष 2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने यह प्रस्ताव पुनः शासन को भेजा किन्तु तब भी इसे राजस्व परिषद की फाइलों में दावा दिया गया। वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल रंग लाई और हसेरन को तहसील तथा ठठिया को विकास खंड बनाये जाने की अधिसूचना जारी हो गयी। इन नए अधिष्ठानों के लिए पद सृजन भी हो गया किन्तु अधिग्रहण आदेश में एक मामूली चूक के चलते यह तहसील प्रारम्भ नही हो सकी जबकि हसेरन के बेकार पड़े स्वास्थ्य केंद्र से इसे अविलंब संचालित करने की घोषणा स्वयम मुख्यमंत्री ने की थी।

राज्य में सत्ता बदली तो तहसील भी एक बार फिर उहापोह में फ़स गयी। अब एक बार फिर इस मामले ने तेज़ी पकड़ी है। विवाद का अंतिम तौर पर पटाक्षेप करते हुए जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने आज इस संवाददाता से कहा कि नव सृजित तहसील हर हाल में हसेरन में ही बनेगी और कल वे स्वयं प्रस्तावित भूमि का निरीक्षण कर अधिग्रहण प्रस्ताव शासन को भेज देंगे।

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Reena Tripathi

(Reporter)

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