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बैंक की कार्यप्रणाली से त्रस्त समाज सेवी ने दी अनशन पर बैठने की चेतावनी

ऋण देना तो दूर गुमराह कर अपात्र बनाने का बैंको द्वारा किया जा रहा कुत्सित प्रयास

गोंडा ! एक तरफ सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ कर उन्हें आत्म निर्भर बनाने की दिशा में स्वरोजगार स्थापना के लिये न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण दिलाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं तो चलाती है मगर उन सभी योजनाओं की असली उड़ान बैंकों की रहमो-करम पर होती है प्रायः देखने को मिलता है की बैंक खादी ग्रामोद्दोग सहित अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से ब्यवसायिक ऋण के लिए किये गए आवेदनों से गुरेज करती हैं,ऋण एवम बैंकिंग कार्य संवेदनशील होने की वजहों से ऐसे मामलों में शिकायत करने से अथवा पब्लिश होने से सामाजिक भौकाल प्रभावित होने के भय से प्रकाश में नही आ पाते हैं ज्यादातर लोग बैंकों के उत्पीड़न से हताश निराश हो कर य तो चुप बैठ जाते हैं य फिर रिश्वत जैसी गम्भीर बिमारी के पोषक बन जाते हैं।

किन्तु हमेशा अपने को कसौटियों पर तौल कर लोगों को जागरूक बनाने की पहल करने वाले सोशल एक्टिविष्ट एवम स्वत्रंत्र पत्रकार के रूप में जाने,जाने वाले समाज सेवी प्रदीप शुक्ल ने शासन, प्रशासन अथवा आम जन मानस के सामने सच की बेबाक तस्वीर उकेर कर रख दी है!

प्रदीप शुक्ल के मुताबिक़ वे लम्बे अरसे से सामाजिक एवमं ब्यवसायिक क्षेत्र से जुड़े हैं पुराने ब्यवसाय का आधुनिकी करण होने की वजह से मन्दी के कगार पर खड़े ब्यवसाय को बदल कर उन्होंने नए ब्यवसाय की स्थापना के लिए मुख्यमन्त्री रोजगार योजना के तहत ग्रामोद्दोग बोर्ड से आवेदन किया था किन्तु इलाहाबाद बैंक धानेपुर की शाखा से कोई प्रतिक्रिया न मिलने से उन्होंने अधिक प्रयास अनायास व्यय के भय से नही किया, जिला ग्रामोद्दोग अधिकारी द्वारा प्रेरित किये जाने पर उन्होंने प्रयास जारी रखा अधिकारियों के हस्तक्षेप पर बैंक द्वारा उनसे आवश्यक प्रपत्रों को उपलब्ध कराये जाने की मांग की गयी जिसके लिए उन्होंने दौड़,भाग कर आवश्यक प्रपत्रों को पूरा किया तो बैंक शाखा प्रबन्धक एवमं बैंक कर्मियों द्वारा विश्वास में ले कर मुख्यमन्त्री रोजगार योजना को ब्यर्थ बताते हुए उन्हें दूसरी योजना(पी.एम.ई जी.पी.)के प्रति प्रलोभित कर प्रस्तुत आवेदन को निरस्त करने के लिए लिखित ले कर दूसरी योजना में अप्लाई करने के लिए प्रेरित किया

किन्तु जब पी.एम.ई.जी.पी. में आवेदन करने के लिए प्रयास किया गया तो उन्हें जानकारी हुयी की जब किसी योजना में एक बार आवेदन कर दिया जाता है तो उसके बाद अन्य किसी योजना में आवेदन स्वीकृत नही किया जाता है बैंक द्वारा जानबूझ कर ऐसा करने के लिए कहा गया है जिसकी शिकायत उन्होंने एल.डी.एम.से मिल कर की तो उन्होंने फ़ाइल फिर से बैंक भिजवाने को कहा, उसके बाद उन्होंने पूर्व में दिए गए आवेदन को पुनः प्रेषित किये जाने लिए जिला ग्रामोद्दोग अधिकारी से निवेदन किया किंतु दुबारा आवेदन प्रस्तुत किये जाने पर भी प्रबन्धक द्वारा उसे ऑनलाइन अथवा ऑफ़लाइन दोनों ही स्तरों से बिना कारण बताये फ़ाइल रिटर्न कर दिया गया है

बैंक प्रबन्धक द्वारा मानसिक अथवा आर्थिक रूप से उत्पीड़न किये जाने से झुब्ध समाज सेवी प्रदीप शुक्ल ने मुख्यमन्त्री, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एल.डी.एम.को पत्र भेज कर कार्यवाही की मांग की है साथ यह चेतावनी भी दी है यदि दो दिनों के भीतर मामले को निस्तारित नही किया गया तो वे जीवन समाप्त करने के उद्देश्य से अन्न जल त्याग कर जिला मुख्यालय पर अनशन पर बैठने को बाध्य होंगे।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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